इसलिए टॉप-10 में पीछे रहे हम
शहर में स्वच्छता को लेकर करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं। अमला भी पर्याप्त है, लेकिन ननि अफसरों की बेपरवाही और कुछ लोगों द्वारा सफाई में रुचि न दिखाने के कारण शहर टॉप-10 में नहीं आ पाया। बता दें कि शहर में वॉटर हार्वेस्टिंग का काम नहीं हो पाया, इससे काफी अंक कट गए। सभी शासकीय भवनों, सभी भवनों में डब्ल्यूएच सिस्टम लगा होना था, जो नहीं हुआ। उससे काफी नुकसान हुआ है। इसके अलावा सूखा-और गीला कचरा का अलग-अलग उठाव न होना, कई जगह पर समय पर सफाई न होना व लोगों द्वारा जानबूझकर गंदगी करने से शहर स्वच्छता रैंकिंग में अभी पीछे चल रहा है। जब लोग खुद से प्रेरणा लेंगे तभी कटनी नंबर-1 होगा। लोग कहीं भी कचरा फेंक देते हैं, थूक दे रहे हैं, इसमें जुर्माना से ज्यादा जागरुक होना बहुत अवाश्यक है।
इन बातों का हर किसी को रखना होगा ध्यान
– शहर का ड्रेनेज सिस्टम करना होगा ठीक, ननि को कवर्ड करानी होंगी नालियां।
– हर कार्यालय, प्रतिष्ठान व घर में सूखा-गीला कचरा के लिए डस्टबिन अनिवार्य।
– शहर में यहां-वहां थूकने, स्मोकिंग करने सहित कचरा फेंकने पर सख्त कार्रवाई।
– गंदगी फैलाने पर रोको-टोको अभियान के साथ जिम्मेदारी का कराना होगा अहसास।
– स्वच्छता दूतों व नगर निगम के नोडल अधिकारियों द्वारा सफाई पर विशेष फोकस।
– जागरुकता कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों की विचारधारा में लाना होगा परिवर्तन।
– जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण और पॉल्यूशन मुक्त शहर के लिए सभी का सहयोग।
– पॉलीथिन के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध, इको फ्रैंडली बैग व थैलों का चलन।
– शहर को स्वच्छ दिखाने बेहतर हॉकर्स जोन, पार्किंग सहित अस्थाई अतिक्रमण पर कार्रवाई।
इनका कहना है
स्वच्छता रैकिंग नि:संदेश अच्छी है, लेकिन इससे अभी हम संतुष्ट नहीं हैं। लोगों की भागीदारी से ही अब हमेशा शहर स्वच्छ हो पाएगा। टीम अपना काम करेगी, लेकिन लोग सफाई में सहयोग करेंगे, स्वच्छता को आदत में लाएंगे, तभी शहर इंदौर की तर्ज पर स्वच्छ होगा और देश-दुनिया में नाम होगा।
अशफाक परवेज कुरैशी, उपायुक्त।
देशभर में शहर की बेहतर रैंकिंग आई है। इसके लिए सभी बधाई के पात्र हैं। नगर निगम की टीम, जनप्रतिनिधियों ने व नागरिकों ने बेहतर सहयोग किया है तभी यह संभवन हो पाया है। अब सबकी और ज्यादा भागीदारी बढ़ाकर शहर को टॉप-5 में लाने पहल शुरू कर दी गई है।
शशिभूषण सिंह, कलेक्टर।