ऐसे होगा किसानों को फायदा
अंतर राज्यीय कृषि बाजार से जुडऩे के बाद किसान अपनी फसल का रजिस्ट्रेशन कराकर मंडी में लाएगा, जहां उसकी उपज की जांच कर मानक के अनुसार क्वालिटी देखकर ग्रेड तय करेंगे। इसकी पूरी जानकारी और नीलामी वेबसाइट पर डाल दी जाएगी। इससे विभिन्न राज्यों के लाइसेंसधारी व्यापारी अपने-अपने रेट लगाएंगे। मंडी कर्मचारी अधिकतम रेट संबंधित किसान को बताकर उससे सहमति प्राप्त करेगा। किसान की सहमति होने पर उपज बेच दी जाएगी। उपज का भुगतान और मंडी शुल्क मंडी समिति के खाते में तत्काल ही ऑनलाइन डाल दिया जाएगा। इसका उद्देश्य देश के विभिन्न राज्यों में स्थित कृषि उपज मंडी को इन्टरनेट के माध्यम से जोड़कर एकीकृत राष्ट्रीय कृषि उपज बाजार बनाना है। इसका सीधा लाभ किसानों, व्यापारियों और ग्राहकों को मिलेगा।
इस समस्या से मिलेगी मुक्ति
फसलों के आने के बाद ही मंडियों में व्यापारियों और मंडी अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ता है। व्यापारी आवक बढ़ते ही उपज के दाम कम कर देते हैं। किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य मिलना हमेशा ही चुनौतीपूर्ण रहा है। स्थानीय व्यापारियों को अपने ही प्रदेश के अन्य भागों में तथा अन्य राज्यों में कृषि उत्पाद बेचने का मौके मिलेगा। थोक व्यापारियों को धान, गेहूं, दलहन सहित अन्य फसल सीधे कृषि बाजार के माध्यमों से दूर स्थित मंडी से कृषि उत्पाद खरीदने का मौका मिलेगा। ग्राहकों को कृषि उपज आसानी से उपलब्ध होगा एवं मूल्य भी स्थिर रहेगा। बड़े पैमाने पर खरीदारी होने से गुणवत्ता तथा उत्पाद खराब होने का अनुपात भी कम होगा।
इनका कहना है
कटनी मंडी अंतर राज्यीय व्यापार से जुड़ चुकी है। सबसे पहले यूपी और राजस्थान से सीधे व्यापार कनेक्ट किया जा रहा है। इसको लेकर भारत सरकार के ज्वाइंट सिकेट्री और कई प्रदेशों के मंडी बोर्ड के डायरेक्टर व मंडी सचिवों की बैठक हुई है। इ-नाम योजना के तहत किसानों को सीधे मुनाफा मिलेगा।
पीयूष शर्मा, सचिव कृषि उपज मंडी, कटनी।