टीकाकरण के प्रति विपरीत मानसिकता, भय और पूर्वागृह से पीडि़त व्यक्तियों को शारीरिक परिवर्तन की घटनायें होती हैं। वस्तुत: यह टीका के प्रभाव से नहीं होती है। उन्होने बताया कि टीकाकरण के बाद की प्रतिकूल परिस्थितियों को तीन श्रेणियों माईनर, सीवियर और सीरियस में बांटा गया है। इनमें माईनर में किसी देखरेख की आवश्यकता नहीं होती। सीरियस इफेक्ट को अस्पताल में भर्ती कर इलाज की जरुरत होती है।
टीकाकरण के बाद प्रतिकूल परिस्थितियां होने पर स्वास्थ्य कार्यकर्ता को तत्काल मेडिकल ऑफीसर के संज्ञान में लाना चाहिये। मेडिकल ऑफीसर तत्काल केस को अटेंड कर रिपोर्टिंग फार्म 24 घंटे के भीतर जिला टीकाकरण अधिकारी को प्रस्तुत करेंगे। टीकाकरण के दौरान सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ता, मेडिकल ऑफीसर को एईएफ.आई ट्रीटमेन्ट किट भी प्रदान की जाती है।
इस अवसर पर कलेक्टर एसबी सिंह ने कहा कि कटनी जिले में सम्पूर्ण टीकाकरण का प्रतिशत 86 प्रतिशत है। हर संभव प्रयास कर टीकाकरण का प्रतिशत 95 प्रतिशत से अधिक रखें। उन्होने कहा कि टीकाकरण के प्रति लोगों में जागरुकता के कार्यक्रम सतत् चलाए जाने चाहिये।