कहीं और है इस खसरे की जमीन
हैरानी की बात तो यह है कि इस खसरा की भूमि कही अन्यत्र स्थित है, जिस भूमि का विक्रय कर दिया गया है वह नगर निगम स्वामित्व की है। खसरा नंबर गलत दर्ज करते हुए धोखाधड़ी करते हुए गलत दस्तावेज तैयार कर कूट रचना की गई है। पटवारी से चौहद्दी का गलत प्रतिवेदन भी लिया गया है। उक्त भूमि करोड़ों रुपये की है, लेकिन कम राशि में विक्रय पत्र तैयार किया गया है। इस मामले की शिकायत भी नगर निगम में एडवोकेट गिरीश गर्ग द्वारा की गई है, जिसके बाद मामले की जांच कराई गई और जमीन को सुरक्षित कराया गया है। बताया जा रहा है कि किसी सुशील मोटवानी नामक व्यक्ति द्वारा अधिकारियों से मिलीभगत कर यह खेल किया जा रहा है।
इनका कहना है
नगर निगम की जमीन थी, कूटरचित दस्तावेज तैयार कराकर उसकी रजिस्ट्री करा दी गई है। काम रुकवाकर बोर्ड लगाते हुए जमीन को मंगलवार को सुरक्षित कराया गया है। तहसीलदार को सीमांकन के लिए पत्र लिखा जाएगा। नगर निगम की सभी जीमनों का सीमांकन कराकर सुरक्षित कराते हुए आगे की कार्रवाई की जाएगी।
सत्येंद्र सिंह धाकरे, नगर निगम आयुक्त।