script25 वर्ष बाद एक को योजना क्रमांक 2 में मिला कब्जा, 94 को अब भी इंतजार | Land possession not found in plan number two katni | Patrika News

25 वर्ष बाद एक को योजना क्रमांक 2 में मिला कब्जा, 94 को अब भी इंतजार

locationकटनीPublished: Jan 11, 2022 09:31:53 pm

Submitted by:

balmeek pandey

उच्च न्यायालय के आदेश पर नगर निगम ने सीमांकन के पश्चात दिया कब्जा, जिंदगी भर की जमापूंजी लगाने के बाद भी नगर निगम व प्रशासन नहीं दिला पा रहा कब्जा

katni nagar nigam

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कटनी. वर्षों से अपना भूखंड पाने नगर निगम कार्यालय के अधिकारियों के चक्कर काट रहे एक नागरिक को आखिरकार न्याय मिल ही गया, लेकिन उसे न्याय स्थानीय प्रशासन से नहीं बल्कि उच्च न्यायालय के माध्यम से मिला है। हम बात कर रहे हैं नगर निगम की आवासीय योजना क्रमांक दो की, जिसमें उच्च न्यायालय के आदेश पर पीडि़त राजेंद्र राव निवासी न्यू एसीसी कॉलोनी को विगत दिनों नगर निगम के द्वारा सीमांकन कराते हुए भूमि का कब्जा आधिपत्य सौंपा गया है। मामले में पीडि़त पक्ष की ओर से उच्च न्यायालय के अधिवक्ता शंकर प्रसाद सिंह ने पैरवी की है। जानकारी के मुताबिक आवेदक राजेंद्र राव ने हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी निवासी एमसी रमैया से 13 जून 1997 को नगर पालिक निगम कटनी महाराणा प्रताप वार्ड अमकुही ही नं. ब. 223 प.ह.नं. 29 /46 तहसील व जिला कटनी नगर निगम की योजना क्रमांक 2 का भूखंड क्रमांक 46 कुल एरिया 350 वर्ग मीटर यानी 3766 वर्गफीट भूखंड 2 फरवरी 2015 को लीज पट्टा हस्तांतरित का अनुबंध किया था एवं लीज का रेंट मय ब्याज अदा करता आ रहा था, लेकिन उसका आधिपत्य नगर निगम द्वारा नहीं दिया जा रहा था एवं सीमांकन और आधिपत्य के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया लेकिन उसका निराकरण नहीं हो रहा था अंत में उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत करने पर उच्च न्यायालय ने सीमांकन आवेदन का निराकरण करने का आदेश दिया गया, लेकिन उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद भी आवेदक का निराकरण नहीं किया गया। जिससे परेशान होकर पीडि़त राजेंद्र राव ने उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत कर निवेदन किया कि उपरोक्त वर्णित भूमि का सीमांकन आवेदन लंबित है, जिसे निर्णित करने का आदेश उच्च न्यायालय के द्वारा किया गया लेकिन उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद भी आवेदन पर विचार नहीं किया गया, जिसके कारण आवेदक राजेंद्र राव ने उच्च न्यायालय में अधिवक्ता शंकर प्रसाद सिंह के माध्यम से अवमानना प्रकरण मुख्य सचिव नगरीय विकास एवं आवास विकास मंत्रालय भोपाल के विरुद्ध प्रस्तुत किया, जिनके तर्कों से सहमत होने के बाद नोटिस जारी होने के पश्चात 25 वर्षों से भटक रहे राजेंद्र राव को अंतत: नगर निगम ने सीमांकन कराते हुए भूमि का कब्जा आधिपत्य दिया गया । बात दें योजना क्रमांक 2 के लिए 95 लोगों ने भूखण्ड लिए थे जिनमें अभी केवल 1 को कब्जा मिल सका है शेष अभी 94 पीडि़त हैं।

1984 में मिली थी मंजूरी
शहर के नागरिकों को स्वयं की जमीन पर मकान का सपना दिखाकर नगर निगम द्वारा 1984 में आवासी योजना क्रमांक 2 के नाम पर दुगाड़ी नाला के समीप भूखंड आवंटित करने की सूचना जारी की और उसका नाम पंडित मुंदिर शर्मा नगर रखा सूचना जारी होते ही भूखंड लेने वाले नागरिकों ने पंजीयन कराया और पंचानवे लोगों ने 1991 में नगर निगम में एक करोड़ 2 लाख रुपये बतौर रजिस्ट्री जमा कराए रजिस्ट्री तो हो गई लेकिन कब्जा पाने आज भी लोग भटक रहे हैं। नगर निगम के आवासी योजना को राज्य सरकार से प्रशासकीय स्वीकृति 17 फरवरी 1984 को मिली इसमें धारा 51 के तहत भू अर्जन की स्वीकृति भी मिली थी।

योजना को लेकर खास-खास
– योजना क्रमांक 2 के नाम से 9.999 हेक्टेयर क्षेत्र आवास योजना के लिए किया गया था चयनित, 194 भूखंड चिंहित क्षेत्र में काटने के बाद 140 भूखंड के आवंटन की हुई थी।
– 54 भूखंड हैं रिक्त, नगर निगम के स्वीकृत नक्शे के आधार पर इसके अलावा 0.377 हेक्टेयर शासकीय भूमि जोकि राष्ट्रीय राजमार्ग से जोडऩे सड़क निर्माण के लिए अधिग्रहित की गई थी।
– आवासीय क्षेत्र को विकसित कर सड़क बिजली पानी के नाम पर नगर निगम में यहां 17 लाख रुपए खर्च किए थे जिसमें एक विशाल पानी की टंकी मनाई गई थी जो आज भी वहां पर है मौजूद।
– 30 वर्ष पूर्व जब यह योजना बनी थी उस समय उस जमीन की कीमत सामान्य थी, लेकिन अब उस वह क्षेत्र बेशकीमती हो गया है क्योंकि व्यवसाय की दृष्टि से वह भूमि कीमती बन चुकी है इसलिए भी नगर निगम भूखंड देने में आनाकानी कर रहा है।

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