यह है मंदिर का इतिहास
बता दें कि 1864 में कैलवारा निवासी रामदास दुबे ने मंदिर में सेवा शुरू की थी। उसके बाद उनके पुत्र राजेश्वरी महाराज, तीसरी पीढ़ी के रमेश दुबे व अब चौथी पीढ़ी के चंद्रिका व उमेश सेवा कर रहे हैं। मंदिर को व्यस्थित करने 1935 के बाद ट्रस्ट के आधीन किया गया। अब मंदिर की व्यवस्था श्री जगन्नाथ मंदिर ट्रस्ट कमेटी द्वारा संभाली जा रही है। जगन्नाथ मंदिर में चौथी पीढ़ी के पुजारी चंद्रिका प्रसाद दुबे ने बताया कि 1864 के पहले चांडक चौक निवासी कुंज बिहारी दुबे भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने जगन्नाथ पुरी गए थे। उम्र का चौथा पड़ाव होने के कारण कुंजबिहारी तीर्थ यात्रा में चलने के कारण थक गए थे। लौटने के बाद जगदीश स्वामी की प्रेरणा से मंदिर की नीव रखी और 1864 में भव्य मंदिर का निर्माण कराया। 1964 में स्थापित भगवान के कलेवर को अबतक दो बार बदला जा चुका है। 1935 में मंदिर के पुजारी की अनुमति से सेठ बल्लाभदास अग्रवाल ने मंदिर का विशेष जीर्णोद्धार कराया और जगदीश स्वामी, बहन सुभद्रा व बलभद्र का कलेवर बदला गया। अब मंदिर कर सुंदरता देखते ही बनती है।
इनका कहना है
जगन्नाथ रथ यात्रा वैश्विक महामारी के चलते रद्द कर दी गई है। इस संबंध में कलेक्टर शशिभूषण सिंह से भी चर्चा हुई है। देश, प्रदेश व शहर में भी मरीज सामने आने के कारण यह निर्णय लिया गया है। सिर्फ सोशल डिस्टेंसिंग के साथ पूजा-अर्चना होगी।
प्रमोद सरावगी, मंदिर कमेटी अध्यक्ष।