scriptMachine damaged in Narmada Tunnel construction | मध्यप्रदेश की अजब सुरंग: जिससे होकर चार जिलों में पहुंचेगा पानी, आ गई बड़ी बाधा | Patrika News

मध्यप्रदेश की अजब सुरंग: जिससे होकर चार जिलों में पहुंचेगा पानी, आ गई बड़ी बाधा

locationकटनीPublished: Sep 23, 2023 09:20:40 pm

Submitted by:

balmeek pandey

सुरंग में सुस्त टीवीएम मशीन ने तोड़ा दम, टनल निर्माण में बाधाओं का ‘पहाड़’
जून 23 तक पूरा हो जाना था काम, 15 साल बाद भी मूर्त रूप नहीं ले पा रही योजना, छह माह में अमेरिका के इंजीनियर सुधरेंगें मशीन, दो से ढाई साल का और लग सकता है निर्माण में वक्त
चार जिलों की सिंचाई योजना में सिर्फ जबलपुर को मिल रहा पानी, कटनी, सतना, रीवा वंचित, अब मैहर भी हो जाएगा शामिल

मध्यप्रदेश की अजब सुरंग: जिससे होकर चार जिलों में पहुंचेगा पानी, आ गई बड़ी बाधा
मध्यप्रदेश की अजब सुरंग: जिससे होकर चार जिलों में पहुंचेगा पानी, आ गई बड़ी बाधा

कटनी. नर्मदा नहर का पानी जबलपुर से कटनी होता हुआ सतना तक जून माह तक पहुंच जाना था, लेकिन अब तीनों जिलों के लोगों को दो से ढाई साल का और वक्त लग सकता है। इसकी मुख्य वजह यह है कि बरगी व्यपवर्तन परियोजना के तहत स्लीमनाबाद में 12 किलोमीटर अंडर ग्राउंड टनल निर्माण का कार्य चल रहा है। अप स्ट्रीम से 4.608 किलोमीटर तो डाउन स्ट्रीम से 5.699 किलोमीटर खुदाई हुई है। डाउन स्ट्रीम की खुदाई मोहदापुरा पहुंच गई है। डाउन स्ट्रीम की टीवीएम मशीन में खराबी आ गई है, जिस कारण कार्य रुका हुआ है। एनवीडीए के अधिकारियों के लिए पुरानी मशीन सिरदर्द बन गई है। टीवीएम मशीन की रिपेयरिंग के लिए 100 फीट खुदाई करनी पड़ेगी, जिसके लिए काम शुरू हो गया है। दिसंबर से मार्च तक का समय मशीन सुधार में लगेगा तो वहीं टनल बनने में दो से ढाई साल लग जाएंगे।
बरगी व्यपवर्तन योजना के तहत जबलपुर, कटनी व सतना जिले की कुल 2 लाख 45 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित करने के लिए 2008 में योजना बनाई गई, सबसे ज्यादा सिंचाई के लिए क्षेत्रफल सतना जिले का 1 लाख 59 हजार 655 हेक्टेयर तय हुआ है। 2008 में नर्मदा नहर का काम शुरू होने के बाद 40 माह में पूरा करने का लक्ष्य लक्ष्य निर्धारित किया जाना था, 2011 में काम पूरा होना था, लेकिन 15 वर्ष में काम पूरा नहीं हो पाया। आखिरी बार जून 23 में मियाद तय की गई, लेकिन वह समय भी निकल गया और पहाड़ से होकर निकलने वाली टनल का काम पूरा ना होने के कारण योजना अभी भी जबलपुर को छोडकऱ तीनों जिलों के लिए सपना बनी हुई है, क्योंकि इस योजना में रीवा जिले को भी शामिल कर लिया गया है।

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