अभी अधूरी है लड़ाई, ये दिल मांगे मोर...
रिटायर्ड मेजर जनरल जीडी बक्शी ने पत्रिका से खास मुलाकात में कहा

कटनी. 50 साल बाद मौका आया है कि सेना ने बार्डर पार कर दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया है। अभी लड़ाई अधूरी है और ये दिल मांगे मोर...। यह बात शहर के एक कार्यक्रम में शिरकत करने आए कारगिल युद्ध में एक बटालियन के नायक रहे और विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित रिटायर्ड मेजर जनरल जीडी बक्शी ने कही। आतंकी हमले के बाद हुई कार्रवाई को लेकर बक्शी ने कहा कि हम पहले ही चाहते थे कि एक बार फैसला हो। जब वो वहां से यहां आ सकते हैं तो हम क्यों नहीं जा सकते। आतंकी ठिकानों पर सेना की एयर स्ट्राइक को लेकर बक्शी ने कहा कि अच्छा कदम है और कारगिल युद्ध में भी हमारी सेना ने बार्डर पार नहीं की थी और अब की है तो देश को नुकसान पहुंचाने वालों का सबक सिखाया जाना चाहिए। कार्रवाई पर्याप्त नहीं है और जरूरत है। भारतीय सेना की कार्रवाई से शहीद परिवारों के अभी भी पूरी तरह से संतुष्ट न होने के प्रश्न पर मेजर जनरल ने कहा कि मैं भी संतुष्ट नहीं हूं और कार्रवाई अभी और होनी चाहिए।
कारगिल युद्ध के अनुभव बांटे
कारगिल युद्ध में एक बटालियन के नायक रहे बक्शी ने सरस्वती स्कूल परिसर में आयोजित कार्यक्रम में शिरकत की। उन्होंने मौजूद लोगों के साथ कारगिल युद्ध के अनुभव बांटे और मौजूदा हालातों को लेकर भी चर्चा की। आने वाले समय में सरकार को और क्या कदम उठाने चाहिए, इस बात को भी बक्शी ने सभी के सामने रखा। इस दौरान महापौर शशांक श्रीवास्तव सहित अन्य जन मौजूद थे।
30 वर्ष में 30 हजार नागरिक, सैनिक चढ़े आतंकवाद की भेंट
कटनी. पिछले ३० वर्ष में आतंकवादियों की गतिविधियों पर नजर डालें तो अभी तक ३० हजार नागरिक व सैनिक शिकार हुए हैं। यह बात रिटायर्ड मेजर जनरल जीडी बक्शी ने प्रेसवार्ता में कही। उन्होंने कहा कि एयर स्ट्राइक सरकार व सेना का अच्छा कदम है और इसे अब पीछे नहीं हटाना चाहिए। मेजर अभिनंदन को लेकर उन्होंने कहा कि उनकी हिम्मत को हम सलाम करते हैं। जिस तरह से दूसरे देश में जाकर उन्होंने बहादुरी दिखाई है, बहुत कम लोग कर पाते हैं। चार साल में जम्मू कश्मीर में बढ़ी घटनाओं को लेकर बक्शी ने कहा कि जब दबाव बढ़ता है तो घटनाएं भी बढ़ती हैं।
धारा 370 को समुद्र में फेंक दो
जम्मू काश्मीर से धारा ३७० को हटाने के मामले में बक्शी ने कहा कि पूरी तरह से समाप्त कर उसे समुद्र में फेंक देना चाहिए।
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