ऐसे लग रहा मंडी टैक्स
जानकारी के अनुसार मिलर्स को दोहरा कर लग रहा है। सरकार ने एक देश एक-टैक्स योजना चला रखी है, लेकिन यहां पर ऐसा नहीं हो रहा। महाराष्ट्र से कच्चा माल लेने पर वहां पर भी मंडी टैक्स चुकाना पड़ रहा है और फिर जब यह माल मध्यप्रदेश आता है तो यहां पर भी टैक्स चुकाना पड़ता है। एक किलो उपज में एक रुपये 70 पैसे टैक्स दूसरे प्रदेश में और फिर एक रुपये 70 पैसे कटनी में भी टैक्स चुकाना पड़ रहा है। 22 साल से मिलर्स को यह समस्या हो रही है।
खास-खास
– वर्मा, म्यामार, देश सहित महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना सहित अन्य प्रदेश से कटनी पहुंच रहा दाल के लिए कच्चा माल।
– कटनी की दाल उप्र, बिहार, बंगाल, झारखंड, हरियाणा, जम्मू काश्मीर, उत्तरांचल सहित अन्य प्रदेशों में होती है सप्लाई।
– शहर के सात बड़े दाल मिल समूह नागपुर, भाटापारा, बिलासपुर हो गए हैं शिफ्ट, समस्या के चलते 10 समूहों की है तैयारी।
– कटनी मंडी से सरकार को लगभग 3 करोड़ रुपये व प्रदेशभर की मंडियों से मिलता है लगभग 13 करोड़ रुपये का राजस्व, कटनी है आगे।
– अमरज्योति दाल मिल, मयंक पल्सेस सहित अन्य दालमिलें हैं सात साल से बंद, डबल टैक्स के कारण संचालन में होती है समस्या।
– कटनी शहर के माधवनगर, इंडस्ट्रियज एरिया कटायेघाट, लमतरा क्षेत्र में संचालित होने वाली दाल मिलें पड़ी हैं बंद।
– तुअर व उड़द की मध्यप्रदेश में कम पैदावार होने के कारण मिलर्स दूसरे देश व प्रदेश से मंगाते हैं कच्चा माल
पुरस्कार की जगह मिल रहा तिरस्कार
कटनी शहर देश का इकलौता ऐसा शहर है जहां पर दाल के लिए कच्चे माल की उपलब्धता न होने के बाद भी यहां पर दाल मिलें चल रहीं हैं। यहां से देश के कई राज्यों में दाल की सप्लाई होती है। मिलों में हजारों लोगों को रोजगार मिलता है, सरकार को राजस्व। इसमें मिलर्स को पुरस्कार मिलना चाहिए, लेकिन तिरस्कार हो रहा है। लगातार सरकार के बैठे लोगों से मंडी टैक्स में छूट की मांग की जा रही है। उम्मीद है कि जल्दी मिलर्स को राहत दी जाएगा।
चेतन हिंदूजा, पूर्व अध्यक्ष, तुअर दाल मिल एसोसएिशन।
इनका कहना है
मंडी टैक्स में छूट की घोषणा कृषि मंत्री ने की है। अभी छूट के संबंध में कोई सर्कुलर नहीं आया है। आदेश व सर्कुलर आने के बाद ही मिलर्स को छूट मिलेगी।
राजेश सैय्याम, मंडी सचिव।