जानकारी के मुताबिक मिलावटखोर प्रतिबंदित पदार्थों से ऐसी ऐसी चीजें बना रहे हैं जिन्हें लोग चटखारा लेने के नाम पर चाव से खा रहे हैं। लेकिन उन्हें नहीं पता कि इससे उनकी सेहत को कितना नुकसान पहुंच रहा है। जानकार बताते हैं कि कुछ नमकीन बनाने वाले अखाद्य पदार्थों का मिश्रण कर ऐसी नमकीन बना रहे हैं जिसे खाने से तंत्रिका तंत्र सुन्न हो जाए। यह और कछ नहीं बल्कि प्रतिबंधित तेवड़ा दाल है जिससे धड़ल्ले से नमकीन बनाई जा रही है। कहने को मिलावटखोरों के विरुद्ध प्रशासनिक कार्रवाई हो रही है बावजूद इसके मिलावटखोर लोगों की जान से खेलने से बाज नहीं आ रहे।
बता दें कि प्रदेश में तेवड़ा दाल पूरी तरह से प्रतिबंधित है। यह सेहत के लिए बेहद हानिकारक होती है। इससे सेवन से तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है। हाथ-पांव सुन्न हो जाते हैं। लेकिन मिलावटखोर हैं कि इसे अरहर या तुअर की दाल में मिलाकर बेच रहे हैं। देखने में तुअर जैसा होने के चलते तेवड़ा की दाल मिलावटखोरों की पसंदीदा दाल हो गई है।
दरअसल तेवड़ा दाल का भाव अन्य दालों की तुलना में तकरीबन आधा होता है। ऐसे में मिलावटखोर इसे सस्ती दर पर खरीद कर इसका इस्तेमाल नमकीन बनाने में कर रहे हैं। बता दें कि भारत सरकार इस दाल पर 1961 में ही पाबंदी लगा चुकी है। तब ये तर्क दिया गया था कि इसके सेवन से न्यूरोलॉजिकल विकार यानी लैथरिज्म नामक रोग होता है। इसे देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने इसे अपने यहां प्रतिबंधित किया है। खाद्य सुरक्षा विभाग भी मानता है कि यह दाल प्रदेश में प्रतिबंधित है। इसका उपयोग करना जुर्म है।
खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 व नियम 2011 के प्रावधानों के तहत तेवड़ा दाल के उपयोग व भंडारण पर 50 हजार रुपये का जुर्माना है। यह जानते हुए नमकीन आदि बनाने वाले धड़ल्ले से इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।
नियमानुसार कार्रवाई की जाती है। मध्यप्रदेश में तेवड़ा दाल प्रतिबंधित है। इसका प्रयोग नमकीनों को बनाने सहित अन्य खाद्य पदार्थों में न हो इसके लिए कार्रवाई की जाती है।- संजय दुबे, खाद्य सुरक्षा अधिकारी