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हर क्षेत्र शक्ति आजमाने लगीं बेटियां: छात्राओं में ऐसी भी शिक्षा प्राप्त करने की ललक…

locationकटनीPublished: Apr 03, 2019 12:42:08 pm

Submitted by:

balmeek pandey

बहोरीबन्द तहसील की जैविक कृषि पाठशाला नैगवां पहुंचा तिलक कॉलेज के स्टूडेंटसों का दल

method of organic farming told to girls

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कटनी/स्लीमनाबाद. वाकई में मेरा देश बदल रहा है, इसकी मुख्य वजह यह भी है कि अब बेटियां हर क्षेत्र में अपनी शक्ति आजमाने लगी है। परिवार में जिम्मेदारी का बोझ बढऩे पर बेटिया ऑटो, रिक्शा टे्रन से लेकर हवाई जहाज तक चलाने लगी हैं। साहस के साथ अब अंतरिक्ष को भी भेद रहीं हैं। इतना ही नहीं वीर की शहादत को को अब कांधा देकर श्मशान तक जाने लगी हैं। यहां तक कि अब जिले में कृषि के क्षेत्र में भी हाथ आजमाने लगी हैं। जैविक खेती करने का तरीका सीख रहीं है। तिलक कॉलेज की छात्राएं नैगवां कृषि पाठशाला पहुंंची और यहां पर जैविक कृषि एक्सपर्ट आरएस दुबे ने से जैविक खेती के तरीके व उसके अद्भुद फायदों के बारे में बताया। जैविक खेती की तकनीक से स्टूडेंट्स स्वरोजगार स्थापित करने के लिए जैविक खेती की तकनीक सीख रहे है। तिलक कालेज कटनी के स्टूडेंट्स इन दिनों जैविक खेती की तकनीक सीखने जैविक कृषि पाठशाला नैगवा मैं प्रशिक्षण ले रहे है। जैविक कृषि पाठशाला नैगवा के संचालक रामसुख दुबे के द्वारा मंगलवार को स्टूडेंटसों को जैविक खेती करने हेतु विभिन्न जैविक खादों एवं कीट नाशक दवाइयों को बनाने तथा फसलों मैं उपयोग की विधि सिखाई गई।

दी ये जानकारी
संचालक रामसुख दुबे ने केंचुआ खाद, एजोला, नाडेप टांका,शीघ्र खादों एवं कीट नाशकों का प्रत्यक्ष अवलोकन,नेपियर घास,चना गेंहू मटर तथा बिही आम मुनगा आंवला आदि को दिखाया। जिसमे जैविक खादों का उपयोग किया गया।साथ ही उन्नत कृषि यंत्रों का अवलोकन कराया गया। गौमूत्र एकत्र करने का तरीका, केचुआ खाद,बायोगैस संयंत्र, एजोला,गन्ना, गेंहू सब्जी आदि का अवलोकन कराया।श्री पांडे ने गांवों की विभिन्न किस्मे, बीमारियों इलाज,पशुओं के लिये पशु आहार चारा आदि की विस्तृत जानकारी दी। प्रशिक्षण के दौरान बताया कि जैविक पद्धति से खाद व दवा बनाई जा सकती है।इसका कोई दुष्प्रभाव न तो फसल पर होता है और न ही फसल से प्राप्त अनाज को सेवन करने से मनुष्य के शरीर पर कोई दुष्प्रभाव होता है। जैविक खाद बीज बनाने में अधिक खर्च नहीं होता है। सिर्फ इसकी प्रक्रिया ही समझना होती है। वर्मी कम्पोस्ट खाद आसानी से तैयार हो जाता है।

गोमूत्र, गोबर व पत्तियों से बनाया कीट नियंत्रण
जैविक खाद बीज बनाने में अधिक खर्च नहीं होता है। सिर्फ इसकी प्रक्रिया ही समझना होती है। वर्मी कम्पोस्ट खाद आसानी से तैयार हो जाता है। जीवांमृत खाद तैयार करने के लिए कुछ भी अलग से लाने की जरूरत नहीं होती है। इस खाद को तैयार करने के लिए गोमूत्र, गोबर, गुड़, पिपल के पेड़ के नीचे की मिट्टी, चना दाल बेसन से यह खाद तैयार हो जाती है। इसी तरह घनांमृत खाद के लिए गोबर, गोमुत्र, गुड़ ही पर्याप्त होता है। जैविक पद्धति से ही फसल को पौष्टिक करने के लिए टानिक भी तैयार किया जा सकता है। कीट नियंत्रण के लिए पेड़-पौधो की पत्तियों जैसे धतूरा, नीम, आंक, बेलपत्र, बेशरम, कनेर, सीताफल, मीर्च एवं तंबाकू पावडर को गोमूत्र में मिलाकर छिड़काव करने से फसल पर लगने वाले कीट नष्ट हो जाते है। अच्छी पैदावार लेने के लिए अच्छे खाद की जरूरत होती है। गोमूत्र से तैयार डी कम्पोजर का छिड़काव करने से 42 दिन बाद यही अपशिष्ट पदार्थ खाद के रूप में तैयार हो जाता है।

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