खराब गेहूं को लेकर मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाइज कार्पोरेशन के योगेंद्र सिंह सेंगर बताते हैं कि इस बारे में नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों को जानकारी दी गई है। गोदामवार जानकारी देकर बताया गया है कि कहां गेहूं खराब हो रही है। वहीं नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक मधुर खर्द का कहना है कि खराब गेहूं को लेकर अब टेंडर निकालने के लिए प्रदेशस्तर पर तैयारी है। इसके लिए जिलों से खराब गेहूं की जानकारी मांगी गई है। टेंडर के बाद गोदाम में जगह खाली होने पर आगामी समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी के लिए गोदाम पर स्थान भी सुनिश्चित हो सकेगी।
भूख मिटाने वाले अनाज के प्रबंधन में हावी है लापरवाही
– समर्थन मूल्य पर बंफर खरीदी के बाद डिमांड वाले दूसरे राज्यों में समय रहते सप्लाई में लापरवाही।
– गेहूं खरीदी के दौरान गुणवत्ता का पालन नहीं होने से भी भंडारण के बाद खराब होने की आशंका ज्यादा।
– जिम्मेदार यह तो बताते हैं कि मध्यप्रदेश में पंजाब से ज्यादा गेहूं का उत्पादन हुआ, खरीदी हुई। लेकिन आगे के प्रबंधन पर बेपरवाही से भी नुकसान।
पत्रिका व्यू
नुकसान पर जवाबदेही कब –
समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी के बाद सुरक्षित रखरखाव में लापरवाही और करोड़ों रुपए का गेहूं खराब होने का यह नया मामला नहीं है। इससे पहले भी गेहूं और धान भंडारण के बाद सुरक्षित रखरखाव में लापरवाही के कारण अरबों रुपए के अनाज सड़ चुके हैं। लाखों मिट्रिक टन अनाज इंसानों के उपयोग लायक नहीं बची है। सवाल यह है कि बीते कई वर्षों से लापरवाही के ऐसे तमाम मामले सामने आने के बाद आखिर किसी की भी जवाबदेही क्यों तय नहीं हो पाती। गेहूं के निजी व सरकारी गोदाम में भंडारण के दौरान सुरक्षित रखरखाव की शर्त भी निहित होती है। इसी के एवज में बतौर किराया करोड़ों रुपए का भुगतान किया जाता है। और इसके बाद भी अनाज खराब हुआ तो जवाबदेही आखिर किसकी है। ऐसे कौन तत्व हैं जो अनाज के रखरखाव में नियम कायदों को खुलेआम रौंद रहे हैं। इससे होने वाले नुकसान पर जवाबदेही आखिर होगी तय।