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बदइंतजामी, 39 करोड़ रुपए का गेहूं खराब : VIDEO

locationकटनीPublished: Jan 23, 2022 11:18:22 pm

– गोदाम के अंदर गेहूं में लगे घुन व कीड़े, अब टेंडर में गेहूं निकालकर गोदाम खाली करने की तैयारी.- खराब गेहूं अकेले कटनी में 39 करोड़ रुपए से ज्यादा की है, पूरे प्रदेश में आंकड़ा कई अरब रुपए से ज्यादा.

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उबरा स्थित गोदाम में गेहूं भंडारण के बाद लगे कीड़े.

राघवेंद्र चतुर्वेदी @ कटनी. समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी के बाद गोदाम के अंदर सुरक्षित रखरखाव में बदइंतजामी का बड़ा मामला सामने आया है। कटनी जिले के अलग-अलग गोदाम में लगभग 20 हजार मिट्रिक टन गेहूं खराब हो गया। गेहूं की यह मात्रा इंसानों के उपयोग लायक नहीं है। समर्थन मूल्य के अनुपात में कटनी में खराब गेहूं 39 करोड़ 50 लाख रुपए से ज्यादा की बताई जा रही है। बाजार मूल्य और अधिक हो सकती है। बड़ी बात यह है कि गेहूं अकेले कटनी में नहीं बल्कि प्रदेश के दूसरे जिलों में भी बड़ी मात्रा में खराब हुई है। गोदाम के अंदर रखे-रखे अरबों रुपए की गेहूं खराब होने के बाद प्रदेशव्यापी टेंडर निकालने की तैयारी है। इसके लिए जिलों से खराब गेहूं की जानकारी मंगवाई गई है।

खराब गेहूं को लेकर मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाइज कार्पोरेशन के योगेंद्र सिंह सेंगर बताते हैं कि इस बारे में नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों को जानकारी दी गई है। गोदामवार जानकारी देकर बताया गया है कि कहां गेहूं खराब हो रही है। वहीं नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक मधुर खर्द का कहना है कि खराब गेहूं को लेकर अब टेंडर निकालने के लिए प्रदेशस्तर पर तैयारी है। इसके लिए जिलों से खराब गेहूं की जानकारी मांगी गई है। टेंडर के बाद गोदाम में जगह खाली होने पर आगामी समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी के लिए गोदाम पर स्थान भी सुनिश्चित हो सकेगी।

पत्रिका व्यू
नुकसान पर जवाबदेही कब –
समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी के बाद सुरक्षित रखरखाव में लापरवाही और करोड़ों रुपए का गेहूं खराब होने का यह नया मामला नहीं है। इससे पहले भी गेहूं और धान भंडारण के बाद सुरक्षित रखरखाव में लापरवाही के कारण अरबों रुपए के अनाज सड़ चुके हैं। लाखों मिट्रिक टन अनाज इंसानों के उपयोग लायक नहीं बची है। सवाल यह है कि बीते कई वर्षों से लापरवाही के ऐसे तमाम मामले सामने आने के बाद आखिर किसी की भी जवाबदेही क्यों तय नहीं हो पाती। गेहूं के निजी व सरकारी गोदाम में भंडारण के दौरान सुरक्षित रखरखाव की शर्त भी निहित होती है। इसी के एवज में बतौर किराया करोड़ों रुपए का भुगतान किया जाता है। और इसके बाद भी अनाज खराब हुआ तो जवाबदेही आखिर किसकी है। ऐसे कौन तत्व हैं जो अनाज के रखरखाव में नियम कायदों को खुलेआम रौंद रहे हैं। इससे होने वाले नुकसान पर जवाबदेही आखिर होगी तय।

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