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इस जिले में मनरेगा पर 344 लाख का कर्जा, एक करोड़ से अधिक मजदूरी बकाया

locationकटनीPublished: Mar 23, 2019 11:44:49 am

Submitted by:

balmeek pandey

मनरेगा में मजदूरी करने वाले श्रमिकों की होली रहेगी फीकी, जनवरी माह से अटका मजदूरी का भुगतान

manrega

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कटनी. गांव के लोगों को गांव में ही 100 काम देकर उनके जीवन यापन की राह प्रशस्त करने वाली मनरेगा जिले में इन दिनों दम तोड़ती नजर आ रही है। जिला पंचायत के मनरेगा विभाग द्वारा 100 फीसदी से अधिक टारगेट भले ही पूरा कर लिया गया है, लेकिन होली जैसे त्योहार में तीन माह से हजारों मजदूरों का भुगतान अटका हुआ है। मनरेगा में मजदूरी करने वाले लोगों का त्योहार फीका रहेगा। जिले में 45 लाख 44 हजार मानव दिवस श्रजित करने का लक्ष्य रखा गया था, जिसे विभाग ने पूरा कर लिया है। अबतक 45 लाख 61 हजार 465 मानव दिवस सृजित कर लिए है। हैरानी की बात तो यह है कि जिले में जनवरी माह से जहां मजदूरी का भुगतान नहीं हो रहा तो वहीं मनरेगा में सामग्री की सप्लाई करने वाली एजेंसियों का भी भुगतान अटका हुआ है। जिले में लगभग साढ़े चार करोड़ रुपए की मनरेगा कर्जदार है। जिलेभर में 343.96 लाख सामग्री पर और 113.91 लाख रुपए मजदूरी का बकाया है। जिले के कटनी, बहोरीबंद, बड़वारा, रीठी, विजयराघवगढ़, ढीमरखेड़ा जनपद में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की राशि ग्राम पंचायतों को दिसंबर महीने से नहीं मिल पाई है। इस कारण पंचायतों में विकास कार्य ठप्प पड़े हैं। होली के ठीक पहले मजदूरों को मजदूरी भुगतान नहीं मिलने से उनकी हालत भी खराब है। मजदूर सरपंच-सचिव पर भुगतान जमा कराने का दबाव बना रहे हैं। वहीं सरपंच-सचिव दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। वर्तमान में चुनावी माहौल और आचार संहिता के चलते यह राशि भी समय पर आना मुश्किल बताया जा रहा है।

अक्टूबर से नहीं रिलीज फंड
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक यह बताया गया कि अक्टूबर माह केंद्र से सरकार ने फंड रिलीज नहीं किया है। इस कारण जिले की 4047 पंचायतों के खातों में राशि जमा नहीं कराई गई है। वहीं केंद्र सरकार ने राज्य सरकार द्वारा उपयोगिता सर्टिफिकेट नहीं भेजने की बात कहीं है। बहरहाल, राज्य और केन्द्र की इस लड़ाई में नुकसान ग्राम पंचायतों और मजदूरों का हो रहा है। वहीं इस वक्त लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगी होने की वजह से मनरेगा का बजट मिलने की उम्मीद नहीं है। मतलब साफ है कि इस साल ना तो सड़क नसीब होगी और ना ही मजदूरों को मजदूरी। पुरानी देनदारी के चलते बाजार से भी पंचायतों को सामान नहीं मिल रहा है।

खास-खास:
– मनरेगा में अभी भी 10 हजार 797 काम पेंडिंग।
– मजदूर भी कर रहे मनरेगा में मजदूरी से किनारा।
– मजदूरी का भुगतान न होने से पलायन को मजबूर ग्रामीण
– पीएम योजना के मिस्त्री वर्ग का भी भुगतान अटका।

ह है ब्लॉकवार बकाया राशि की स्थिति (राशि लाख में)
ब्लॉक सामग्री मजदूरी
बड़वारा 31.98 22.02
बहोरीबंद 36.47 22.82
ढीमरखेड़ा 105.63 29.14
कटनी 45.22 9.29
रीठी 20.69 11.68
विगढ़ 87.27 18.63
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योग 343.96 113.91
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इनका कहना है
शासन द्वारा पंचायतों को रोजगार गारंटी मद की राशि नहीं देने से पंचायतों में विकास और निर्माण कार्य ठप हो गए है, जो कार्य प्रगतिरत है, वह भी राशि के अभाव में अधूरे छोड़े जा रहे हैं। मजदूरी और बिलों के भुगतान के लिए सरपंच जनपद से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं। वर्तमान समय में ग्रामीण बेरोजगारों के हालात खराब हो रहे हैं। उनके खाते में पैसा नहीं पहुंच रहा है और अब वे रोजगार की तलाश में शहरों की तरफ पलायन करने की तैयारी कर रहे हैं।
अनंत आंनद दुबे, सरपंच, बहोरीबंद।

दिसंबर से मनरेगा का भुगतान नहीं आया है। राज्य स्तर की यह समस्या है। वर्तमान मे मजदूरों का मजदूरी भुगतान हो इसके लिए हमारे द्वारा लगातार पत्र व्यवहार किया जा रहा है। जैसे ही राशि जारी होती है पंचायतों को जारी की जाएगी।
डॉ. संतोष बाल्मिक, जिला मनरेगा अधिकारी।

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