कटनीPublished: Feb 10, 2019 11:27:30 pm
narendra shrivastava
बच्चों पर मार रहे झपट्टा, धमाचौकड़ी कर छप्पर को पहुंचा रहे नुकसान
Monkeys get disturbed
पिपरिया सहलावन। क्षेत्र में ग्रामवासी पिछले करीब एक साल से बंदरों की उछलकूद से परेशान हैं। बंदरों के झुंड रोजाना जंगल से उतरकर गांवों की रिहाइसी बस्ती में घुसकर धमाचौकड़ी मचाने से नहीं चूकते। अब चूंकि उनके आहार के लिए चने, मटर, बेर, अमरूद सहित अन्य खाने की चीजों के तैयार होने का समय आ गया है, ऐसे में तो उनका आतंक और ही बढ़ गया है। जो खेतों और बाड़ी में उक्त चीजों को कच्चे में ही नोचकर चट करते देखे जा रहे हैं, और जरा सी आहट पर ग्रामिणों की खपरैल छतों पर चढ़कर उछलकूद मचाते हुये दोड़ लगा देते हैं और ग्रामीण अपनी आंखों के सामने अपने नुकसान को देखते रह जाते हैं।
इन बन्दरों के द्वारा खपरैल मकानों में इतना आतंक मचाया गया है कि, हालत यह है कि यदि जरा सी भी बारिश हो जाये तो शायद ही किसी गरीब की खपरैल छत से पानी घर के अंदर प्रवेश न करें। वहीं किसान भी अब इन दिनों तैयार हो रही दलहनी फसलो को इनके द्वारा नुकसान न पहुंचाएं जाने के जुगाड़ में तरह-तरह के विकल्प अपनाने विवश देखने मिलते हैं।
इस बारे में संबंधित विभाग से जानकारी लेने पर बताया गया, विभाग के पास ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, इनको पकडऩे के लिए मथुरा से टीम बुलाई जाती है, जो प्रति बन्दर के हिसाब से पैसा लेती हैं, जिनका खर्च ग्रामिणों द्वारा चंदा मिलाकर या पंचायत के माध्यम से वाहन करना होता है, यदी ग्रामीण इसके लिए तैयार होते हैं, तो टीम बुलाकर जंगल विभाग के कर्मचारी उनके साथ रहकर बंदरों को पकड़वाने में उनकी मदद कर सकते हैं।