कटनीPublished: Jun 25, 2018 11:42:33 am
mukesh tiwari
एक सप्ताह से शहर में बादलों का डेरा, तेज बारिश की उम्मीद बनने के बाद भी नहीं सक्रिय हुआ मानसून
Monsoon not active
कटनी. तेज तपन व जून माह के शुरुआती दौर में ही बादलों के डेरे से अच्छे मानसून की बंधी उम्मीद अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। एक सप्ताह से रोजाना बारिश का मौसम बन रहा है लेकिन बंूदाबांदी तक ही सीमित रहने से लोगों को राहत नहीं मिल पा रही। एक दिन हुई आधे घंटे प्रीमानसून की बारिश के बाद से शहर में राहत की बूंदे दोबारा नहीं गिरी। जिससे बढ़ी उमस ने लोगों को हलाकान कर रखा है तो बादलों की ओट से निकली तीखी धूप से घरों से बाहर निकले लोग पसीने से तरबतर हो रहे हैं और कूलर पंखों से भी राहत नहीं मिल पा रही है।
शहर में तीन दिन से तेज बारिश का मौसम बन रहा है लेकिन बारिश न होने से लोगों की चिंता बढ़ रही है। शुक्रवार की रात को अचानक मौसम बदला था और तेज गरज चमक के साथ हवाएं शुरू हुई। आधे घंटे तक हवाओं का दौर जारी रहा, जिससे मानसून के सक्रिय होने की उम्मीद बंधी थी लेकिन उसके बाद मौसम साफ हो गया। ऐसी ही स्थिति शनिवार, रविवार की शाम को बनी लेकिन बारिश नहीं हुई।
पानी का भी बढ़ रहा संकट
पिछले साल जिले में सामान्य से कम बारिश हुई थी। इसके चलते गर्मी की शुरुआत के साथ ही शहर से लेकर गांव तक जलस्तर काफी नीचे चला गया है। मानसून के सक्रिय होने के साथ ही लोगों को राहत की उम्मीद है लेकिन उसमें भी देरी हो रही है। शहर में अप्रैल माह से एक समय पानी की सप्लाई हो रही है और बैराज में पानी समाप्त हुए १५ दिन का समय बीत गया है। एक -दो सप्ताह और मानसून सक्रिय नहीं होता है तो पानी का संकट और बढ़ जाएगा।
माधवनगर के जागृति पार्क में राहत पाने पहुंचे लोग
कटनी. दोपहर बाद काले बादलों का डेरा और तेज हवाओं के साथ मौसम शाम तक सुहावना हो गया। घरों में उमस से परेशान लोग मौसम के खुशनुमा होते ही परिवार के साथ शहर के पार्कों, खुले स्थानों में पहुंचे और मौसम का लुत्फ उठाया। माधवनगर के जागृति पार्क में झूलों, रेम्प के साथ डक गाड़ी, मिक्की माउस का लुत्फ बच्चों व बड़ों ने उठाया तो युवाओं की टोलियां भी पार्क में देर शाम तक मौजूद रहीं। सुरम्य पार्क में कटाएघाट में भी लोग परिवार के साथ पहुंचे तो विश्राम बाबा काली मंदिर की पहाड़ी से ठंडी हवाओं का लुत्फ गल्र्स व ब्वाइज ने उठाया।
पिक और सेल्फी का चला दौर
सुहावने मौसम में पार्कों में झूलों आदि का आनंद युवा उठाते रहे तो वहीं अलग-अलग एंगिल से ग्रुप फोटो, सेल्फी का दौर भी जारी रहा। रैम्प से लेकर पहाडिय़ों के पत्थरों मेंं फोटो निकालने युवा रिस्क तक उठाते रहे।