नगर निगम के अफसरों का कहना है कि शहर को साफ रखने के लिए पॉलीथिन का उपयोग नहीं करना और कचरे का सही तरीके से निबटारा करना जरूरी है। इसके लिए लोगों को सूखे और गीले कचरे को अलग अलग करने की आदत डालनी होगी। गीले कचरे से खाद बनाया जाता है और सूखे कचरे की चीजों को री-साइकल किया जा सकता है।
वैसे निगम के सफाईकर्मी, सुपरवाइजर अब वार्डों में पहुंच कर लोगों को इस बारे में समझा रहे हैं कि किस डिब्बे में कौन सा कचरा डालना है। लेकिन अभी लोग इसे समझ नहीं पा रहे हैं। इससे कचरे का सही तरीके से निबटारा करने में नगर निगम को एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है।
जानकारी के अनुसार दोनों तरह के कचरों का अलग-अलग उपयोग होता है और नगर निगम की कचरा गाड़ी में दोनों कचरे मिला दिए जाने के बाद इन्हें अलग करना मुश्किल हो जाता है। इससे सबसे बड़ा नुकसान यह है कि पर्यावरण संरक्षण के लिए पर्याप्त काम नहीं हो पा रहा है। क्योंकि सूखे कचरे से होने वाले प्रदूषण को रोका नहीं जा पा रहा है।
गीले कचरे के लिए हरा और सूखे कचरे के लिए नीला डस्टबिन उपयोग में लाया जाता है। गीले कचरे में सामग्री और सब्जियों के अवशेष आते हैं। जबकि सूखे कचरे में पॉलीथिन, प्लास्टिक, कांच, कागज आदि हैं।
जानकारों का कहना है कि कचरार भेद के लिए निगम को लोगों यह समझाना होगा कि वो अपने घरों में ही अलग-अलग डिब्बों में गीला व सूखा कचरा रखें ताकि निगम की गाड़ी आने पर वो आसानी से इसे अलग-अलग रंग वाले डब्बे में डाल सकें।