कटनी

1628 का अनुबंध, 2250 भुगतान की तैयारी, आर्थिक लाभ पहुंचाने इस नगर निगम में शुरू हो रहा एक और बड़ा खेल

एमएसडब्ल्यू कंपनी ने नगर निगम में लगाए बिल, मानकों का भी नहीं रखा जा ध्यान, जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा खेल

कटनीNov 03, 2020 / 09:23 am

balmeek pandey

Crores of rupees scam in post office

कटनी. शहर साफ-सुथरा रहे, कचरे का उचित निपटान हो इसके लिए एमएसडब्ल्यू प्रालि कंपनी नगर निगम से अनुबंध अनुसार काम कर रही है। कंपनी द्वारा 2015 से ही व्यापक पैमाने पर मनमानी की जा रही है। अनुबंध से कई गुना ज्यादा कचरा दर्शाया जा रहा है और नगर निगम से हर माह लाखों रुपये का भुगतान भी हो रहा है, अब अनुबंध से अलग नगर निगम के अधिकारी कंपनी को उतकृत करने के लिए भुगतान की तैयारी में हैं। नगर निगम से 1628 रुपए प्रति टन के मान अनुबंध हुआ है, लेकिन मई और जून माह में 2250 रुपये के मान से भुगतान के लिए बिल लगाया जाना बताया गया है। रेट रिवीजन के बिना ही अनुबंध से अलग भुगतान की तैयारी चल रही है। मई में 57 लाख 26 हजार 481 रुपये और जून माह में 53 लाख 14 हजार 433 रुपये के बिल लगाए गए हैं। जुलाई और अगस्त के बिल भी बढ़े हुए बताए जा रहे हैं। बता दें कि कंपनी द्वारा न तो सूखा और गीला कचरा अलग-अलग लिया जा रहा और ना ही अनुबंध शर्तों का पालन किया जा रहा। वहीं कंपनी मैनेजर आलोक कुमार का कहना है कि रेट रिवीजन के तहत बढ़े हुए बिल लगाए गए हैं। अभी तो भुगतान ही नहीं हो रहा। तीन माह नगर निगम आयुक्त न होने व नोडल अधिकारी न होने से दिक्कत हो रही है। आठ माह से भुगतान नहीं किया गया। ढाई करोड़ रुपये से अधिक बकाया है। बता दें कि कंपनी और ननि अधिकारियों की मिलीभगत से हर माह लाखों रुपये के वारे-न्यारे हो रहे हैं।

हो रही यह मनमानी
एमएसडब्ल्यू कंपनी द्वारा प्रबंधन द्वारा जमकर मनमानी की जा रही है। धर्मकांटा तौल पर्चियां नहीं लगाई जा रहीं। इंडीपेडेंट इंजीनियर द्वारा मिट्टी-मलबा की कटौती भी नहीं की जा रही और ना ही ठीक से डिफरेंस डिटेल लगाई जा रही। प्राइमरी और सेकंडरी कलेक्शन रिपोर्ट भी तैयार नहीं हो रही, यह बात जांच में भी सामने आ चुकी है, इसके बाद भी ननि अधिकारी कंपनी पर मेहरबान हैं। व्हीकल ट्रिप सीट में भी बेपरवाही की जा रही है। 100 प्रतिशत डोर-टू-डोर कलेक्शन में भी मनमानी जारी है।

इनका कहना है
एमएसडब्ल्यू को अभी तक मेरे द्वारा कोई भुगतान की फाइल नहीं की गई। अनुबंध के अनुसार ही भुगतान किया जाएगा। यदि राशि बढ़ाई गई है तो इसकी जांच कराई जाएगी। नियमानुसा ही भुगतान होगा।
सत्येंद्र कुमार धाकरे, नगर निगम आयुक्त।

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