रूटीन डॉक्टर ने बताया मरा है बच्चा
परिजनों ने बताया कि १०.३० बजे रूटीन डॉक्टर पहुंचीं और कहा कि बच्चे की धड़कनें नहीं मिल रहीं, ऑपरेशन करना पड़ेगा। परिजनों ने ऑपरेशन की सहमति दे दी। शिफ्ट चेंज होने पर डॉक्टर चलीं गईं। १७ जनवरी की सुबह नर्स व आशा कार्यकर्ता द्वारा डिलेवरी कराई गई, लेकिन नवजात बच्ची पैदा हुई। पति ने कहा कि यदि समय पर उपचार मिल जाता तो बच्ची को बचाया जा सकता था।
इनका कहना है
जांच के बाद ही परिजनों को बता दिया गया था कि बच्चा जीवित नहीं है। रिस्क कम करने के लिए नॉर्मल डिलेवरी कराई गई। परिजनों द्वारा लगाए गए आरोप निराधार हैं।
डॉ. हर्षता गुप्ता, महिला चिकित्सक।
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परिजनों द्वारा उपचार में लापरवाही की शिकायत की गई है। मामले की जांच कराई जाएगी। किन परिस्थितियों में बच्चे की मौत हुई यह पता लगाया जाएगा। डॉक्टर व स्टॉफ को भी संवेदनशीलता बरतने कहा जाएगा।
डॉ. अशोक अवधिया, सीएमएचओ।
जिला अस्पताल की ओपीडी में लगाई गई शिकायत व सुझाव पेटी
कटनी. जिला अस्पताल में उपचार के लिए पहुंचने वाले मरीजों को उपचार के दौरान यदि किसी भी प्रकार की समस्या होती है डॉक्टर सहित अन्य कर्मचारी द्वारा उसके साथ अभद्रता या उपचार में देरी की जाती है तो उस कर्मचारी को भारी पड़ सकता है। मरीजों की सुविधा को लेकर कलेक्टर के निर्देश पर सिविल सर्जन द्वारा ओपीडी सहित वार्डों व अन्य स्थानों में शिकायत एवं सुझाव पेटी लगवाई गई है। इस पेटी को कलेक्टर के निर्देश पर अधिकारी उसे खोलेंगे और शिकायतों और सुझाव पर सुनवाई करेंगे। अस्पताल के कर्मचारी द्वारा किसी भी प्रकार की लापरवाही बरती जाती है तो उसकी जांच होगी और जांच में दोषी पाए जाने पर कार्रवाई होगी। इसके साथ ही मरीज परिजनों अस्पताल में पहुंचने वाले लोग अस्पताल प्रबंधन में बदलाव व व्यवस्था सुधार के लिए भी सुझाव दे सकते हैं।