बता दें कि रीवां की टेस्ट लैब में 5 दिन से जांच नहीं हो रही तो सतना में इतने ही दिनों से सैंपल तक नहीं लिए जा रहे। इस प्रकरण का खुलासा पत्रिका ने ही किया है। अब अगर बात कटनी की करें तो यहां कोरोना संक्रमण के स्त्रोत का पता लगाने में लापरवाही उजागर हुई है।
ये भी पढें- देश के इस जिले में कोरोना की जांच बंद, न लिए जा रहे सैंपल न हो रहा टेस्ट बता दें कि कटनी के ग्रामीण इलाकों में बाहर से आने वालों का तांता लगा है। लेकिन बाहर से आने वाले लोगों के होम आइसोलेशन को लेकर स्थानीय अधिकारी अपेक्षाकृत मुस्तैदी नहीं दिखा रहे। पंचायत कर्मचारियों की लापरवाही भी सामने आ रही है। इतना ही नहीं स्वास्थ्य विभाग के कुछ जिम्मेदार लोगों की कार्यशैली तक पर सवालिया निशान खड़े होने लगे हैं।
अब अगर बात करें कोरोना पॉजिटिव सीताबाई और उसके संपर्क में आने वाले 60 लोगों की इनमें से एक की भी सैंपलिंग शुक्रवार तक तो नहीं ही हो पाई थी। उससे पहले 30 अप्रैल को 10 लोगों की सैंपलिंग के रिपोर्ट भी एक मई तक नहीं आ पाए थे। उधर 1 मई को ही बहोरीबंद और विजयराघवगढ ब्लॉक के गांव से तीन लोगों के सैपल लेकर आईसीएमआर जबलपुर भेजा गया। ये तीनों ही बाहर के जिलो से आए हैं। शुरूआती लक्षणों के आधार पर ये संदिग्ध पाए गए हैं।
यहां यह भी बता दें कि सीताबाई कटनी की पहली कोरोना पॉजिटिव हैं। इनकी रिपोर्ट 29 अप्रैल को आई थी। उसके बाद से चार दिन बीत गए लेकिन कटनी और जबलपुर प्रशासन कोरोना संक्रमित होने का स्त्रोत तक नहीं पता लगा पाया है। जांच अधिकारी अब सीताबाई से मिलने वाले इनपुट में गफलत की आशंका जता रहे हैं। इसके लिए कॉल डिटेल खंगाली जा रही है। एसडीएम बलबीर रमण की मानें तो कटनी और सिहोरा तहसीलदार की टीम स्त्रोत का पता लगाने में जुटी है। लेकिन अब तक कोई सफलता हाथ नहीं लगी है।