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साक्षर हुए एक साल बीता, अबतक नहीं मिला प्रमाण पत्र, इन महिलाओं ने बताई व्यथा

locationकटनीPublished: Mar 23, 2019 12:09:08 pm

Submitted by:

balmeek pandey

जनपद शिक्षा केंद्र की लापरवाही

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कटनी/पिपरिया सहलावन. जनपद शिक्षा केंद्र ढीमरखेड़ा के अंतर्गत निरक्षरों को साक्षर बनाने ग्राम पंचायत स्तर पर साक्षरता केन्द्रों में हुई मूल्यांकन परिक्षाओं के प्रमाणपत्र एक साल बीतने के बावजूद अभी तक साक्षरों के प्रमाणपत्र अंकसूचियों का वितरण नहीं हो पाया। परीक्षा में शामिल कराने वाले साक्षरता प्रेरकों से अपनी अकसूचियों के वितरण की बात करते हैं। जिसका कोई सटीक जवाब प्रेरकों के पास नहीं होता, उनका यही कहना है, कि पिछले साल मार्च में संचालित हुई उक्त परिक्षा के बाद से योजना बन्द कर दी गई है। जिसका कि उन्हें अभी तक कुछ माह का मानदेय भी नहीं मिल पाया। जनपद शिक्षा केन्द्र द्वारा शामिल परिक्षार्थीयों के पेपर और लिस्ट जमा कराए जाने के बाद से आज तक उन्हें बुलवाया नहीं गया है। इसलिए वो इस बारे में कुछ नहीं बता पाएंगे।
इस संबंध में उक्त परिक्षा में शामिल हुई मुलायम बाई, मायाबाई, सुशीला बाई, रितु बाई, राजेश सिंह सहित अन्य महीला और पुरुषों ने बताया कि इन अकसूचीयों के न मिलने और इसके अलावा उनके पास शिक्षा से जुड़े कोई प्रमाणपत्र न होने की वजह से जाति, आय प्रमाण-पत्र सहित अन्य कई काम रुके हुए हैं, अत: उन्होंने संबंधितों से इनके शीघ्र ही वितरण कराये जाने की मांग की है। बता दें साक्षर भारत योजना जिले में निरक्षरों को साक्षर बनाने करीब छह वर्ष से चल रही थी, जिसकी अंतिम परीक्षा का संचालन पिछले वर्ष मार्च 18 में कराए जाने के बाद योजना को बंद कर दिया गया। जिसके कारण साक्षरता प्रेरक तो बेरोजगार हुये ही, वहीं निरक्षरों को साक्षर बनाए जाने पर उनको दिए जाने वाले प्रमाणपत्र अंकसूचियां भी अटक गई हैं। उनका वितरण अभी तक नहीं हो पाया है। जिन्हें संबंधित शिक्षा विभाग द्वारा इसके पूर्व इन्हीं प्रेरकों को सौंपकर वितरण करवाएं जाने का काम किया जाता था।

इनका कहना है
अकसूचीयां आ गई हैं, डीपीसी से जैसे निर्देश मिलेगें उस आधार पर वितरण करवा दिया जाएगा। रही बात प्रेरकों के मानदेय की तो मेरी जानकारी में शासन के निर्देशानुसार सभी का भुगतान हो चुका है, फिर भी यदी जो साक्षरता प्रेरक मानदेय बकाया होने की बात करते हैं, तो मुझे लिखित में आकर दें।
आरएस बघेल, बीइओ ढीमरखेड़ा।

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