कटनी

ये भाई जरा संभलकर…कहीं घायल न कर दे ये भवन, अजब है लापरवाही

एक साल में ही उधडऩे लगीं टाइल्स, लटकने लगे विद्युत उपकरण, जगह-जगह है लीकेज की समस्या, जिला अस्पताल परिसर में बने ट्रामा सेंटर का मामला

कटनीApr 29, 2019 / 05:36 pm

balmeek pandey

Negligence Trauma Center Construction in katni

कटनी. उधड़कर गिर रहीं टाइल्स तो कहीं पर हिल रहीं…, जगह-जगह लटक रहे बिजली के उपकरण, जगह-जगह पाइपों से लीकेज, लीकेज से आ रही दुर्गंध, टाइल्स के टूटकर गिरने का खतरा…। यह नजारा किसी जीर्णशीर्ण भवन का नहीं बल्कि एक साल पहले जिला अस्पताल परिसर में बनकर तैयार हुए ट्रामा सेंटर का है। एक साल के अंदर ही हुए गुणवत्ताविहीन कार्य की पोल खुलना शुरू हो गई है। जिस उद्देश्य से शहर को ट्रामा सेंटर की सौगात मिली है और भले ही एक साल बाद भी पूरा नहीं हो रहा, लेकिन मरीजों व उनके परिजनों को समस्या से सरोकार जरुर होने लगा है। क्योंकि अभी तक ट्रामा सेंटर के लिए न तो डॉक्टर मिले हैं और ना ही स्टॉफ और मशीनरी। 4 करोड़ 16 लाख रुपये से बना यह ट्रामा सेंटर अपनी दुर्गति अब खुद ही बयां करने लगा है। 2014 से शुरू हुए ट्रामा सेंटर का निर्माण 2018 में पूरा तो हुआ, लेकिन निर्माण में गुणवत्ता की अनदेखी अब भारी पडऩे लगी है। यहां पर बनाया गया रैंप भी हिल रहा है। ट्रामा सेंटर का जबसे निर्माण शुरू हुआ था तबसे तीन बार ड्राइंग-डिजाइन चेंज हुआ। मरीजों की व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए उसके ढांचे को बदलवाया। पहले ड्राइंग डिजाइन में समय लगा इसके बाद शासन से भुगतान न मिल पाने के कारण निर्माण में ढाई साल की देरी हुई थी। खास बात यह कि ट्रामा सेंटर के बन जाने से सड़क दुर्घटना में गंभीर होने, गंभीर बीमारी सहित अन्य समस्या के लिए अब मरीजों व उनके परिजनों को शहर के बाहर का जल्दी से रुख नहीं करना पड़ता, लेकिन अभी भी सर्व सुविधायुक्त ने होने के कारण मरीजों को जबलपुर ही रेफर किया जा रहा है।

यह है ट्रामा सेंटर का स्वरूप
ट्रामा सेंटर ग्राउंड फ्लोर सहित तीन फ्लोर में बना है। ग्राउंड फ्लोर में 5 कमरे डॉक्टरों के लिए, एक वार्ड, दो लेवर रूम, एक नर्स ड्यूटी रूम, एक डॉक्टर ड्यूटी रूम, कोर्ट यार्ड एरिया, टेस्ट रूम बना है। फस्ट फ्लोर में तीन वार्ड, चार डॉक्टर केबिन, एक पैथॉलोनी लैब, एक आई वार्ड, एक आई वार्ड की ओटी, दो लेट-बॉथ, मेजर ओटी, माइनर ओटी, वेटिंग ऐरिया, रैम्प बना हुआ। सेकंड फ्लोर में 6 प्राइवेट कमरे, दो वार्ड, एक स्टोर रूम सहित यहां पर भी शेड बना है।

खास-खास:
– लिफ्ट का अभी भी चल रहा है काम।
– प्राइवेट वार्डों में नहीं है सुविधाएं।
– पांच की जगह दो ही खुलते हैं प्रवेश द्वार।
– अधिकांश वार्डों में शिफ्ट हुआ अस्पताल।

इनका कहना है
ट्रामा सेंटर का निर्माण मेरे कार्यकाल का नहीं है। जिस समय निर्माण हो रहा था उस समय के अधिकारियों को ध्यान देना था। अब ट्रामा सेंटर हमारे अंडर में है। जहां पर कोई गड़बड़ी है उसे ठीक कराया जाएगा।
डॉ. एसके शर्मा, सिविल सर्जन।

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