स्वास्थ्य केंद्र में जारी है उपचार
महिला स्वास्थ्य संबंधी विभाग द्वारा कई अभियानों का दावा किया जा रहा है, लेकिन इस प्रसव ने व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। अंजली के पति मुकेश का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान मवई में दो बार और बहोरीबंद में एक बार जांच हुई है, लेकिन सोनोग्रॉफी व एक्सरा नहीं हुआ। महिला का उपचार बहोरीबंद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के एनआरसी सेंटर में जारी है। महिला का स्वास्थ्य ठीक है। हीमाग्लोबिन भी 9 प्वाइंट है। बताया जा रहा है कि अंजली का यह दूसरा प्रसव था। हैरानी की बात तो यह है कि यदि सोनोग्रॉफी पहले हो जाती तो अंजली को आज यह यातना नहीं झेलनी पड़ती।
एक्सपर्ट व्यू:
इस संबंध में जिला अस्पताल में पदस्थ वरिष्ठ महिला चिकित्सक डॉ. सुनीता वर्मा का कहना है कि यह जन्मजात विकृति है। जींस में खराबी व केमिकल रिएक्शन के कारण भ्रूण अपना पूर्ण रूप नहीं ले पाया है। इसके लिए जरूरी था कि परिजनों द्वारा महिला का प्रॉपर ढंग से चेकअप कराना था, ताकि 3 महीने के अंदर ही भ्रूण का पता चल जाता कि आखिर वह किस रूप में विकसित हो रहा है। समय रहते इसका पता चलने पर महिला की जान को खतरा ना हो और इस तरह से विकृत बच्चा पैदा ना हो इसके लिए हॉयर सेंटर के माध्यम से जांच होती। समस्या होने पर एबॉर्शन हो सकता था। डॉ वर्मा ने कहा कि यह रेयर केस है। इस तरह से कभी-कभार ही मामले आते हैं। एक लाख बच्चों के जन्म लेने के बाद इस तरह की विकृति सामने आती है। इसका कुपोषण से कोई संबंध नहीं होता।
इनका कहना है
इस संबंध में विशेष जानकारी नहीं है। महिला का प्रसव ग्राम मवई में हुआ है। यह जन्मजात विकृति है। ऐसे केस कई बार सामने आते हैं। गर्भावस्था के दौरान महिला की जांच ठीक से हुई है या नहीं। सोनोग्रॉफी आदि के संबंध में भी पता लगाया जाएगा।
डॉ. एसके पाठक, बीएम, बहोरीबंद।