scriptVideo: डॉक्टर का खुलासा: इसलिए चार हाथ और चार पैर का जन्मा था बच्चा, ग्रामीणों ने दैवीय शक्ति मानकर किया दर्शन, चढ़ाये रुपये | Newborn born in distorted state in katni | Patrika News

Video: डॉक्टर का खुलासा: इसलिए चार हाथ और चार पैर का जन्मा था बच्चा, ग्रामीणों ने दैवीय शक्ति मानकर किया दर्शन, चढ़ाये रुपये

locationकटनीPublished: May 31, 2019 12:41:27 pm

Submitted by:

balmeek pandey

15 मिनट बाद हो गई मौत, डाक्टरों ने कहा जींस में खराब के कारण जन्मजात विकृति

Newborn born in distorted state in katni

Newborn born in distorted state in katni

कटनी. जिले की बहोरीबंद तहसील क्षेत्र अंतर्गत ग्राम मवई में एक महिला ने एक विकृत नवजात को जन्म दिया है। उस बच्चे के चार हाथ और चार पैर थे। जन्म के 15 समय बाद बच्चे की मौत हो गई, लेकिन ऐसे बच्चे के जन्म लेने के बाद ग्रामीणों के लिए कौतूहल बन गया। उसे देखने के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीण उमड़ पड़े। यहां तक कि ग्रामीण उसे एक दैवीय रूप मान करके उसके दर्शन किए और रुपये भी चढ़ाए। जानकारी के अनुसार अंजली कुशवाहा पति मुकेश निवासी मवई तहसील बहोरीबंद को मंगलवार की देररात अचानक प्रसव पीड़ा होने लगी। परिजन अंजली को अस्पताल ले जाने के लिए तैयारी करने लगे। प्रसव पीड़ा बढ़ गई और सुबह 4 बजे अंजली ने एक बच्चे को जन्म दिया। प्रसव करा रही महिलाओं ने देखा कि अंजली को जुड़वा बच्चे हैं, लेकिन जैसे ही बच्चा पेट से बाहर आया तो देखा कि बच्चे का धड़ तो एक है, लेकिन हाथ और पैर चार-चार हैं। 15 मिनट के बाद नवजात ने दम तोड़ दिया। महिलाओं ने घर के पुरुषों को जानकारी दी। सुबह होते-होते पूर गांव में हल्ला मच गया और उसे देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी।

स्वास्थ्य केंद्र में जारी है उपचार
महिला स्वास्थ्य संबंधी विभाग द्वारा कई अभियानों का दावा किया जा रहा है, लेकिन इस प्रसव ने व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। अंजली के पति मुकेश का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान मवई में दो बार और बहोरीबंद में एक बार जांच हुई है, लेकिन सोनोग्रॉफी व एक्सरा नहीं हुआ। महिला का उपचार बहोरीबंद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के एनआरसी सेंटर में जारी है। महिला का स्वास्थ्य ठीक है। हीमाग्लोबिन भी 9 प्वाइंट है। बताया जा रहा है कि अंजली का यह दूसरा प्रसव था। हैरानी की बात तो यह है कि यदि सोनोग्रॉफी पहले हो जाती तो अंजली को आज यह यातना नहीं झेलनी पड़ती।

एक्सपर्ट व्यू:
इस संबंध में जिला अस्पताल में पदस्थ वरिष्ठ महिला चिकित्सक डॉ. सुनीता वर्मा का कहना है कि यह जन्मजात विकृति है। जींस में खराबी व केमिकल रिएक्शन के कारण भ्रूण अपना पूर्ण रूप नहीं ले पाया है। इसके लिए जरूरी था कि परिजनों द्वारा महिला का प्रॉपर ढंग से चेकअप कराना था, ताकि 3 महीने के अंदर ही भ्रूण का पता चल जाता कि आखिर वह किस रूप में विकसित हो रहा है। समय रहते इसका पता चलने पर महिला की जान को खतरा ना हो और इस तरह से विकृत बच्चा पैदा ना हो इसके लिए हॉयर सेंटर के माध्यम से जांच होती। समस्या होने पर एबॉर्शन हो सकता था। डॉ वर्मा ने कहा कि यह रेयर केस है। इस तरह से कभी-कभार ही मामले आते हैं। एक लाख बच्चों के जन्म लेने के बाद इस तरह की विकृति सामने आती है। इसका कुपोषण से कोई संबंध नहीं होता।

इनका कहना है
इस संबंध में विशेष जानकारी नहीं है। महिला का प्रसव ग्राम मवई में हुआ है। यह जन्मजात विकृति है। ऐसे केस कई बार सामने आते हैं। गर्भावस्था के दौरान महिला की जांच ठीक से हुई है या नहीं। सोनोग्रॉफी आदि के संबंध में भी पता लगाया जाएगा।
डॉ. एसके पाठक, बीएम, बहोरीबंद।

 

 

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