पेयजल के करनी पड़ रही जद्दोजहद, ठंड में ही दम तोड़ रही नलजल योजना
जल स्त्रोत के अभाव में पानी की होती है त्राहि-त्राहि, पीने के पानी सहित रोजगार के साधन ना होने के कारण युवा वर्ग बेहाल, गांव मोहतरा विकास से अछूता, अधिकारी और जनप्रतिनिधियों को नहीं समस्या से सरोकार

कटनी/स्लीमनाबाद. तहसील मुख्यालय बहोरीबंद से 20 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत मोहतरा आज भी मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहा है। ग्रामीणों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए तमाम योजनाएं संचालित हो रही हैं, लेकिन गांव की स्थिति दावों और वादों की पोल खोल रही है। लगभग 1700 आबादी वाले ग्राम में पीने के पानी की गंभीर समस्या है। पेयजल की समस्या से ग्रामीण जूझ रहे हैं।शीतकाल में ही नलजल योजना दम तोड़ रही है। जल स्तोत्र कम होने लगा है। जिससे गर्मी के दिनों में खास मार्च अप्रैल के महीने में ही गांव में पानी का अकाल छा जाता है। ग्राम में फिर निजी बोरवेलों के सहारे पानी के लिए ग्रामवासी मजबूर रहते हैं। ग्राम वासियों के द्वारा पानी की समस्या से लगातार प्रशासन को अवगत कराया जा रहा है, लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। ग्रामवासी आंनद कुमार, पंजी चौधरी, नरेश चौधरी, गणेश चौधरी, राम स्वरूप चौधरी ने बताया कि गांव मे जल स्त्रोत की कमी है। जिससे यह समस्या विकराल हो जाती है।
गांव-मोहतरा
ग्राम पंचायत-मोहतरा
तहसील-बहोरीबंद
जिला-कटनी
आबादी-1700
फसल बचाना भी चुनौती
रबी सीजन की खेती का कार्य चल रहा है।जो फसल आकार लेनी लगी है, उसमें वन्य प्राणियों के द्वारा नुकसान पहुचाया जा रहा है। विभाग से कई बार इस समस्या को लेकर अवगत कराया गया, लेकिन विभाग ने किसी प्रकार का ध्यान नहीं दिया। विद्युत समस्या भी गांव में आए दिन बनी रहती है। लगातार ट्रिपिंग और लो वोल्टेज के कारण विद्युत का भी सुचारू लाभ नहीं मिल पा रहा। गांव में जब पीने के पानी के लाले हें तो सिंचाई की बात करना खुली आंखों से सपना देखने जैसी बात है।
रोजगार व स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव
ग्रामीणों ने बताया कि गांव का युवा वर्ग पढ़ लिखकर क्षेत्र में रोजगार के लिए भटकता है। कोई रोजगार के साधन न होने से युवा वर्ग की मेहनत बेकार चली जाती है। जिस कारण युवा वर्ग पढ़ाई लिखाई करने के वाबजूद दो वक्त की रोटी के लिए मजदूर बन रहा है। मनरेगा कार्यों में कार्य करता है या फिर दूसरे जिलों व राज्यों के लिए पलायन कर जाता है। इसके साथ ही गांव में खुला उप स्वास्थ्य केंद्र भी महज शोपीस है। एक तो उप स्वास्थ्य केंद्र पर ग्रामीणों के लिए उपचार के लिए कोई दवा ही नही मिलती है।यहाँ पदस्थ एएनएम सिर्फ टीकाकरण कार्य तक सीमित है। जिससे उपचार के लिए बहोरीबंद, बाकल या फिर झोलाछाप डॉक्टरों का सहारा लेना पड़ता है।
इनका कहना है
गांव में जो भी समस्याएं हैं, उनकी जानकारी ली जाएगी। गांव के विकास के लिए जो भी आवश्यकताएं होंगी उन्हें पूर्ण करवाने हर संभव प्रयास किया जाएगा।
विजय द्विवेदी, तहसीलदार।
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