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टूटी हैं सीढिय़ा, सुरक्षा भी नदारद
कटायेघाट की सीढिय़ा पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हैं। घाट में लगे चीप-दासे कई जगह से टूटे हुए हैं। कई चीप उखड़कर रखी हैं जो कदम रखते ही डगमगाती हैं, ऐसे में इस घाट पर उतरना किसी खतरे से कम नहीं है। कलेक्टर और आयुक्त पिछले एक पखवाड़े से शहर के सौंदर्यीकरण के लिए भ्रमण कर रहे हैं, लेकिन घाट पर अबतक किसी भी अधिकारी की नजर नहीं गई। इतना ही नहीं घाट पर सुरक्षा के भी कोई इंतजाम नहीं हैं। यहां पर न तो कोई जाली लगी हैं और ना ही रेलिंग। महत्वपूर्ण स्थान होने के बाद सुरक्षा से अनदेखी की जा रही है।
खास-खास:
– कई बार हादसों के बाद भी नगर निगम ने यहां नहीं कराए सुरक्षा के इंतजाम।
– स्टॉपडेम से नदी के उस पार जाने नहीं हैं व्यवस्था, जोखिम उठाते हैं लोग।
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– घाट के किनारे नदी के मुहाने खुले हैं, जिनकी सुरक्षा है जरुरी।
– कटायेघाट में मेले का आयोजन होना था, फिर भी नहीं सुधरा घाट।
– घाट पर प्रकाश का भी नहीं है पर्याप्त इंतजाम, रात में रहता है अंधेरा।
कई मायने में खास है घाट
कटनी नदी का यह एकमात्र घाट ऐसा है जहां का पानी एकदम साफ व पवित्र हैं क्योंकि शेष जगह शहर के गंदे नाले सामहित हो रहे हैं। यहां पर एकादशी, कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान महोत्सव, सिंधी समाज का झूलेलाल चालीहा महोत्सव, महाशिवरात्रि पर्व सहित पितृृ तर्पण, जल यज्ञ आदि होते हैं इसके बाद भी घाट के विकास को लेकर जिम्मेदार बेपरवाह बने हुए हैं।
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जनप्रतिनिधियों को नहीं सरोकार
हैरानी की बात तो यह है कि शहर में विकास व समस्या सुधार को लेकर जनप्रतिनिधियों को कोई सरोकार ही नहीं हैं। शहर में अधिकांश जनप्रतिनिधियों तो मानों सिर्फ नाम के लिए बने हैं। शहर की जनता परेशान हो रही है, लेकिन किसी का ध्यान नहीं नहीं है। शहर के लोगों को एक बेहतर स्थान मिले, इस दिशा में कोई पहल ही करने को तैयार नहीं है।
इनका कहना है
घाट के सौंदर्यीकरण को लेकर शीघ्र कार्रवाई की जाएगी। घाट को व्यवस्थित कराया जाएगा। सुरक्षा की दृष्टि से रेलिंग आदि भी लगाई जाएंगी। शहर वासियों के लिए यह पर्यटन स्थल का काम करे इस दिशा में काम होंगे।
आरपी सिंह, आयुक्त नगर निगम।