यहां परिवहन विभाग का आदेश मानने तैयार नहीं बस ऑपरेटर
95 फीसदी बसों में न लगे जीपीएस और न ही सीसीटीवी कैमरे

कटनी। जिले से चलने वाली 95 फीसदी बसों में जीपीएस (ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम) व सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा है। इलाज पेटी व यात्रियों की सहूलियत के लिए परिवहन विभाग द्वारा जारी किया गया शिकायत नंबर भी बसों से गायब हो गया है। इधर, बस ऑपरेटर्स की मनमानी को देखते हुए राज्य सरकार ने मप्र मोटरयान नियम 1994 में संशोधन किया है। नए नियम के अनुसार अब जीपीएस व सीसीटीवी कैमरा लगा होने के बाद ही परमिट जारी किया जाएगा। साथ ही बसों में चलने वाले चालक व परिचालक का पुलिस वैरीफिकेशन भी बस ऑपरेटर्स को कराना अनिवार्य होगा। जानकारी के अनुसार जिले के विभिन्न रूटों पर लगभग 125 बसें संचालित होती हैं। इनमें से 95 फीसदी बसों पर जीपीएस व सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा है। सिर्फ इक्का-दुक्का ही बसें ऐसी होंगी, जिसमें जीपीएस व सीसीटीवी कैमरा लगा हो। दूसरी ओर जिले के बस ऑपरेटर्स को नियम में संशोधन होने की जानकारी भी लग चुकी है। इसके बाद से बस ऑपरेटर्स में हलचल मची हुई।
इलाज पेटी को भी निकाल कर रख दिया
यात्रा के दौरान सफर करने वाले किसी यात्री को यदि दुर्घटना के दौरान कोई मामूली चोट व खरोच लग जाए तो उसे बस में ही तुरंत उपचार मिल जाए, इसके लिए बसों में उपचार पेटी लगानी थी, लेकिन अधिकांश वाहनों में पेटी लगी ही नहीं है। बस ऑपरेटरों ने उपचार पेटी को निकाल कर रख दिया। दूसरी ओर जिन बसों में उपचार पेटी लगाई गई है, वह महज दिखावे के लिए ही है। उसमें दवाइयां नहीं हैं।
नहीं हैं शिकायत नंबर
यात्रियों की सुविधा के लिए परिवहन विभाग ने एक शिकायत नंबर जारी किया था। विभाग का उद्देश्य था कि यदि बस ओवरलोड सवारी लेकर चलती है, तो कोई भी व्यक्ति बस की फोटो व नंबर को वाट्सअप नंबर पर भेज दे। शिकायत मिलते ही जिले का परिवहन अमला उस पर तत्काल कार्रवाई करेगा लेकिन अधिकांश बसों में यह नंबर नहीं लिखा है। यात्रियों को भी इस नंबर के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
सीसीटीवी कैमरों का तय नही मापदंड
बसों में सीसीटीवी कैमरा लगाने का परिवहन विभाग ने आदेश तो दिया है लेकिन उसके मापदंड तय नहीं किए हैं। इसके चलते बाजारों में बिकने वाले कम दाम के गुणवत्ताहीन कैमरे लगवाकर बस ऑपरेटर्स भी बचना चाह रहे हैं। विभाग ने सिर्फ जीपीएस की गुणवत्ता के लिए ही मानक तय किए हैं।
सीट पर नहीं लगा पर्दा
बसों में छोटे बच्चों को लेकर सफर करने वाली महिलाएं बच्चों को यात्रा के दौरान स्तनपान करा सकें, इसके लिए परिवहन विभाग ने बसों में ड्राइवर के पीछे वाली सीट पर पर्दा लगाने के आदेश दिए थे। शहर या ग्रामीण क्षेत्रों से चलने वाली 95 फीसदी बसों में पर्दे नहीं लगाए गए हैं।
बसों में जीपीएस व कैमरे लगवाने के बाद ही अप्रैल माह का परमिट दिया जाएगा। इस संबंध में सभी बस मालिकों को आदेश भी दिए जा चुके हैं। साथ ही जिन वाहनों में उपचार किट व शिकायत नंबर नहीं लिखे हैं, उनको भी लगवाया जाएगा। -एमडी मिश्रा, एआरटीओ
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