पानी न रुकने पर अफसरों का अजीब तर्क
अमृत सरोवरों में पानी न रुकने के पीछे जिला पंचायत सहित जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों सहित अन्य अफसरों का अजीब तर्क सामने आया है। अफसरों व इंजीनियरों का कहना है कि पहले वर्ष में तालाब के बंड (मेड़) फटने का डर बना रहता है, इसलिए ज्यादा पानी नहीं रोका जाता। पहली बारिश में बेस मजबूत हो जात है, इसके बाद फिर जलाशयों को भरा जाता है। अधिकांश जलाशयों में बूंद पानी नहीं है और जिले के अधिकारी सरोवरों के नाम में अपनी पीठ थपथपा रहे हैं।
एसीएस ने रद्द कर दिए थे जलाशय
एसीएस उमाकांत उमराव ने जिले के अमृत सरोवरों का औचक निरीक्षण किया था। बहोरीबंद के दो जलाशयों में सही स्थल चयन न होने पर कैंसिल कर दिए थे। एक विजयराघवगढ़ में वन भूमि पर प्रस्ताव बना दिए जाने के कारण रद्द हो गया था। इस पर एसीएस ने एई व इंजीनियर को निलंबित करने के आदेश दिए थे, लेकिन आजतक कार्रवाई नहीं हुई। एक इंक्रीमेंट राकने की ही औपचारिकता पूरी की गई है।
जिले में यह है जलाशयों के निर्माण की स्थिति
ब्लॉक तालाब पूर्ण निर्माणाधीन
कटनी 11 11 00
ढीमरखेड़ा 11 10 01
बड़वारा 23 22 01
बहोरीबंद 05 05 05
रीठी 19 16 03
विजयराघवगढ़ 11 08 03
आइडब्ल्यूएमपी 17 15 02
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योग 102 87 15
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यह है सरोवर निर्माण का उद्देश्य
जल संरक्षण के उद्देश्य से ही इन अमृत सरोवरों का निर्माण हुआ है। मनरेगा विभाग द्वारा निर्मित इस अमृत सरोवर में एक बूंद पानी का सृजन नहीं हो सका है। जिसके चलते यह अमृत सरोवर मृत समान लग रहे हैं। जल स्तर बढ़ाने, जलीय जीव-जंतु के पानी की उपलब्धता, मवेशियों से लेकर आम आदमी को भी यह अमृत सरोवर कोई लाभ नहीं दे पा रहे। सरोवर की मेड़ों पर पौधे लगाने का कार्य भी नहीं हो पाया। अमृत तुल्य जल उपलब्ध कराने, मछली पालन से रोजगार उपलब्ध कराने, सिंचाई आदि की सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्यों को लेकर शुरू हुए अमृत सरोवरों का निर्माण का लाभ जिले के लोगों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। है। मानसून आने के अब कुछ दिन शेष हैं, ऐसे में अभी आधे-अधूरे जलाशय अपनी कहानी बयां कर रहे हैं।
अमृत सरोवरों के निर्माण को लेकर खास-खास
– प्रत्येक अमृत सरोवर में 14 से 15 लाख रुपए किए गए हैं खर्च, कई बने हैं गुणवत्ताहीन, फिर भी नहीं हुए गुणवत्ता की जांच।
– अमृत सरोवरों के निर्माण के लिए पंचायतों को बनाया गया था निर्माण एजेंसी, जमकर की गई है मनमानी।
– सरोवरों के निर्माण में 15वें वित्त की राशि भी की गई है खर्च, जिसमें मिट्टी खुदाई आदि में ठेकेदारों के माध्यम से मशीनरी का किया गया है उपयोग।
– मौसम विभाग के अनुसार जिले की औसत वर्षा 1034 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए, पिछले साल 1038 मिमी बारिश हुई है, बावजूद इसके पानी नहीं ठहरा।
यह है जिले में जलाशयों की स्थिति
केस 01
ढीमरखेड़ा जनपद क्षेत्र अंतर्गत ग्राम करौंदी में 13 लाख रुपए की लागत से ग्राम पंचायत के द्वारा अमृत सरोवर का निर्माण कराया गया है। निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है, लेकिन इसमें एक बूंद पानी नहीं है, यहां पर धूल उड़ रही है।
केस 02
बहोरीबंद जनपद क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत पड़वार में अमृत सरोवर का निर्माण गत वर्ष कराया गया है। इस सरोवर के निर्माण में सरकार ने 13 लाख रुपए से भी अधिक फूंके हैं, लेकिन एक बूंद भी पानी नही है।
केस 03
ग्राम पंचायत जुजावल में भी अमृत सरोवर का निर्माण ग्राम पंचायत द्वारा कराया गया है। इसके निर्माण में 12 लाख 59 हजार रुपए खर्च किए गए हैं। वर्तमान में हालात ऐसे हैं कि एक बूंद भी पानी नही है।
केस 04
ग्राम पंचायत बरहटा में भी 15 लाख रुपए की लागत से अमृत सरोवर का निर्माण कराया गया था। जानकर ताज्जुब होगा कि यह तालाब जनवरी माह में ही सूख गया था, अब इसमें एकबूंद पानी नहीं बचा है।
वर्जन
जिले में अमृत सरोवरों का निर्माण गुणवत्तापूर्ण हुआ है। कुछ जलाशयों में पानी न रुकने की वजह यह है कि पहले साल पानी सोखते हैं। दूसरे साल में बंड भी मजबूत हो जाती है। यदि कहीं पर गुणवत्ताहीन निर्माण हुआ है तो इनकी जांच कराएंगे। जलाशयों में पानी रुके, यह पहल की जाएगी।
शिशिर गेमावत, जिला पंचायत सीइओ।