योजना बनाने में माहिर स्कूल शिक्षा विभाग के अफसर कई साल तक उसे नहीं चला पा रहे हैं। शुरुआत के कुछ दिन तक तो योजना का बेहतर क्रियान्वयन होता है लेकिन धीरे-धीरे अफसरों का मोह भंग हो जाता है। योजना भी बंद हो जाती है। ज्यादातर योजनाएं कलेक्टर का तबादला होते ही बंद हो गई।
खास-खास:
-शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय माधवनगर, शासकीय मॉडल स्कूल, हायर सेकंडरी स्कूल वेंकट वार्ड व शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल एनकेजे।
– स्मार्ट क्लास के दौरान शिक्षक बच्चों को सबजेक्ट के सिलेबस को पढ़ाते रहेंगे। इस बीच प्रोजेक्टर भी चालू रहेगा और छात्र क्या सवाल-जबाव होगा उसको देखते रहेंगे। विषयवार जानकारी अपलोड रहेगी।
जबाव-पूर्व की गारंटी की बात मैं इसलिए नही करता कि उस समय लोग कम्प्यूटर में अभ्यस्त नही थे। अब सब लोग कम्प्यूटर भी चलाते हैं। बच्चों के पास भी मोबाइल रहता है। इसलिए यह योजना चल जाएगी।
जवाब: कम्प्यूटर व प्रोजेक्टर में बहुत बड़ी समस्या नहीं आएगी। कभी-कभार आती है, उसका निदान करवा लिया जाएगा। यह कोई बड़ी समस्या नहीं है।
सवाल-आप क्या मानते हैं बच्चों के लिए यह कितना उपयोगी हैं।
जबाव- बच्चों के लिए यह प्रयोग बहुत उपयोगी है।
सवाल-कलेक्टर का तबादला होने के बाद बंद तो नहीं होगी।
जबाव- नहीं ऐसा नहीं होगा। अब योजना सुचारू रूप से चलती रहेगी।
सवाल-पुरानी योजना क्यो बंद हो गई।
जबाव- पुरानी योजनाओं में कुछ कमियां रह गई होंगी। इसलिए बंद हो गई। जवाहर नवोदय विद्यालय कोचिंग कलेक्टर का अभिनव प्रयोग था। शिक्षक अगर पढ़ाने को तैयार है तो योजना को हम चालू करवा देंगे।
-योजना बनाने में माहिर विभाग के अफसर प्लान तो तैयार कर लेते हैं लेकिन सुचारू रूप से नही चला पाते। इसका कारण यह है कि विभाग के पास पर्याप्त संसाधन नही है। टेक्नालॉजी के इस दौर में शिक्षक कम ही ट्रेंड है। इसके अलावा कुछ दिन तक तो मॉनिटरिंग होती है फिर अचानक से बंद हो जाती है। इस वजह से योजनाएं फेल हो जाती है।
केशवानंद तिवारी, रिटायर्ड प्राचार्य।