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तीन सौ मरीज पर एक डॉक्टर, कैसे हो कोरोना पॉजिटिव मरीजों का बेहतर इलाज

locationकटनीPublished: Sep 18, 2020 04:10:16 pm

कोरोना पॉजिटिव मरीजों के इलाज में भारी न पड़ जाए जिला अस्पताल प्रबंधन की बेपरवाही, अस्पताल के सभी डॉक्टरों की ड्यूटी लगाने में उदासीन अधिकारी.

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प्राइवेट अस्पताल

कटनी. जिलेभर में गुरुवार तक एक्टिव कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 348 तक पहुंच जाने के बाद मरीजों के इलाज में जिला अस्पताल प्रबंधन की बड़ी लापरवाही सामने आई। जानकर ताज्जुब होगा कि यहां सैकड़ों कोरोना पॉजिटिव मरीज के इलाज की जवाबदारी एक डॉक्टर के भरोसे है। इन मरीजों को देख रहे डॉ. एसपी सोनी का भी कहना है कि बड़ी संख्या में मरीजों को देखने के बाद गेप जरूरी है। इस बीच किसी दूसरे डॉक्टर की ड्यूटी नहीं लगाने के कारण परेशानी होती है।

जिला अस्पताल के सीएस डॉ. यशवंत वर्मा बताते हैं कि डॉ. एसपी सोनी के भरोसे ज्यादा कोरोना पॉजिटिव का इलाज चल रहा है। 12 डॉक्टरों के अलग-अलग कारणों से सेवा में नहीं होने के बाद भी पूरी कोशिश है कि मरीजों के इलाज में किसी तरह की परेशानी नहीं आए। लोग अस्पताल में डॉक्टरों की कमीं को समझें और इमरजेंसी में मदद करें जो इस चुनौती से भी पार पा लेंगे।

कोरोना इलाज के लिए शहर से बाहर जाने वाले मरीज ज्यादा
कटनी जिला अस्पताल में भर्ती होने वाले कोरोना पॉजिटिव मरीजों में प्रतिदिन दो से तीन मरीज मेडिकल जबलपुर रैफर हो रहे हैं। यहां से रैफर होने वाले मरीजों की यह वो संख्या है जिसे चिकित्सक की सहमति से रैफर किया जाता है। कोरोना इलाज के लिए स्वयं बाहर जाने वाले मरीजों की संख्या ज्यादा है। प्रतिदिन बीस से ज्यादा लोग भोपाल, जबलपुर व नागपुर तक जाकर इलाज करवा रहे हैं।

बेहतर इलाज की उम्मींद लिए बाहर जा रहे मरीज, वहां भी परेशानी
आजाद चौक गली से एक परिवार कोरोना पॉजिटिव होने के बाद बेहतर इलाज की उम्मींद लेकर भोपाल चिरायु गए, वहां जाने के बाद पता चला कि अस्पताल में जगह नहीं है। काफी मशक्कत के बाद जगह नहीं मिली और अब वे एम्स भोपाल में इलाज करवा रहे हैं। यहां से बेहतर इलाज की उम्मींद लेकर दूसरे शहरों तक जाने वाले अन्य मरीजों की भी यही पीड़ा है। मरीज व उनके परिजनों का कहना है कि बाहर बड़े शहरों में अस्पतालें फुल हैं। जगह नहीं मिलने के कारण इलाज में भी विलंब होता है। इनका कहना है कि इससे बेहतर है कि कटनी में ही इलाज की सुविधा बेहतर की जाए, लेकिन अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के कारण ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है।

एमडी डॉक्टर की कमीं, एक आए तो वो भी कोरोना पॉजिटव हो गए
जिला अस्पताल में कोरोना पॉजिटिव व अन्य मरीजों के इलाज के लिए एमडी डॉक्टर की कमीं बीते कइ महीने से रही। सीएस डॉ. एसके शर्मा के सेवानिवृत्त होने के बाद एमडी डॉक्टर की कमीं कुछ दिन पहले ही पूरी हुई। यहां डॉ. मनीष प्यासी ने ज्वाइन किया, लेकिन कुछ ही दिन बाद वे कोरोना पॉजिटिव हो गए और इलाज ले रहे हैं।

कई डॉक्टर कोरोना संक्रमण की चपेट में, सब बाहर करवा रहे इलाज
आइसीएमआर से 15 सितंबर को आई रिपोर्ट में पांच डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव मिले। खासबात यह है कि इसमें से एक डॉक्टर को छोड़कर शेष चार कोरोना का इलाज बाहर दूसरे शहरों में करवा रहे हैं। इधर, डॉक्टरों द्वारा बाहर इलाज करवाने पर शहर के नागरिकों ने सवाल उठाया कि क्या चिकित्सकों को ही यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था पर भरोसा नहीं है। वह व्यवस्था जो लाखों लोगों के लिए उम्मींद और विश्वास का केंद्र है।


यह भी जानें

– 280 से ज्यादा मरीज कोरोना ए सिस्टमैटिक हैं, इनका कटनी में ही हो रहा आसानी से इलाज।

– 2 से ज्यादा मरीज प्रतिदिन जबलपुर मेडिकल कॉलेज के लिए हो रहे रैफर।

– 20 से ज्यादा मरीज जबलपुर मेडिकल कॉलेज में इलाजरत।

– 10 से ज्यादा मरीज प्रतिदिन जबलपुर, भोपाल, नागपुर व अन्य शहरों का रूख कर स्वयं के खर्च पर करवा रहे कोरोना का इलाज।

– 5 वेंटीलेटर चालू स्थिति हैं, 2 को इंस्टाल करना है इसके लिए आईसीयू निर्माण प्रगति पर है।

– 30 डॉक्टर जिला अस्पताल में दे रहे सेवाएं, इसमें 12 डॉक्टर अलग-अलग कारणों से अवकाश पर।

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