कटनी

भू-अभिलेखों का हो रहा ऑनलाइन अपडोशन, पारदर्शिता के लोगों को होगा ये बड़ा फायदा

नामांतरण, बंटवारा, डायवर्सन में लोगों को होगी आसानी, विभागों को होगा फायदा

कटनीFeb 08, 2019 / 12:46 pm

balmeek pandey

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कटनी. जिले की वास्तविक भौगोलिक स्थिति जानने के लिए जियोग्राफिक इंफार्मेशन सिस्टम (जीआइएस) सर्वे कराया गया है। नियुक्त एजेंसी की सर्वे रिपोर्ट के बाद अब राजस्व विभाग में डॉटा ऑनलाइन किया जा रहा है। इससे राजस्व सहित नगर निगम व अन्य विभाग को जिले की राजस्व की वास्तविक स्थिति की जानकारी मिल पाएगी। भौगोलिक स्थिति के आधार पर संपत्तिकर, भवन अनुज्ञा और ई-गवर्नेंस योजना लागू करने के लिए जीआइएस सर्वे कारगर सिद्ध होगा। सर्वे के बाद व्यापक स्तर पर भू-अभिलेखों के डाटा परिवर्तन एवं अपडेशन का कार्य चल रहा है। अभी तक यह डाटा एनआइसी सर्वर से ऑनलाइन था, लेकिन अब इसे जीआइएस सर्वे के आधार पर किया जा रहा है। भूमि संबंधी सभी दस्तावेज ऑनलाइन हो रहे हैं। इससे जहां डाटा सही रहेगा वहीं नामांतरण, बंटवारा, खसरा-नक्शा नकल, डायवर्सन आदि की प्रक्रिया आसान हो जाएगी। खास बात तो यह है कि इस डॉटा अपडेशन से सेटेलाइट के आधार पर अधिकारी व हर कोई घर बैठे वास्तविक स्थिति का पता लगा पायेगा। जमीन में क्या चल रहा है वह सब अपडेशन जीआइएस सिस्टम में मिलेगा। इससे विभाग को लाभ तो होगा कि साथ ही कार्यालयों के चक्कर कटने से लोगों को मुक्ति मिलेगी। उल्लेखनीय है कि मकानों का सही ढंग से नापजोख नहीं होने से कर दाताओं से संपत्तिकर कम मिल रहा है। कच्चा या पक्का मकान, आवासीय या व्यावसायिक प्रयोजन की सही जानकारी नहीं मिलने से संपत्तिकर तय नहीं हो पा रहा। सर्वे में छूट गए मकान मालिक संपत्तिकर, भू-भाटक नहीं दे रहे। इससे राजस्व का नुकसान हो रहा है। ऑनलाइन के बाद जमीन मालिक को भवन अनुज्ञा में दिक्कत, बिना अनुमति मकान बनाते हैं तो निगम को विकास शुल्क नहीं मिल रहा।

क्या है जीआइएस
यह एक भू-विज्ञान सूचना प्रणाली है। यह संरचनात्मक डाटा बेस पर आधारित है। यह विश्व में भौगोलिक सूचनाओं के आधार पर जानकारी प्रदान करती है। संरचनात्मक डाटाबेस तैयार करने के लिए वीडियो, भौगोलिक फोटोग्राफ और जानकारी देती है।

इसलिए पड़ी जरूरत
– चोरी छिपे मकान निर्माण पर रोक लगाना, डाटा बेस के अनुसार ऑनलाइन भवन अनुज्ञा की अनुमति देना
– खाली जमीन और मकानों का डाटा बेस तैयार कर जोन और वार्ड के अनुसार ऑनलाइन संपत्तिकर तय करना।
– ई-गवर्नेंस स्कीम लागू करना, पुरातात्विक कार्य और अपराध विज्ञान
– कौन से क्षेत्र में प्रदूषण कितना है। आसानी से समझा जा सकेगा और वर्गीकृत भी किया जा सकता है।

इनका कहना है
भू-अभिलेखों के डाटा परिवर्तन एवं अपडेशन का कार्य चल रहा है। एनआइसी से अब जीआइएस वेब में डॉटा ऑनलाइन हो रहा है। इस पहल से न सिर्फ पारदर्शिता आएगी, कर अपवंचन रुकेगा और वास्तविकता का भी चता चल पाएगा।
मायाराम कोल, जिला भू-अभिलेख अधिकारी।

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