जिले में एक भी सरकारी नर्सिंग कॉलेज नहीं है। जिस वजह से यहां के छात्रों को नर्सिंग की पढ़ाई के लिए जबलपुर, रीवा, शहडोल, इंदौर, भोपाल सहित अन्य जिलो में जाकर पढ़ाई करनी पड़ रही है। जिले के छात्रों को नर्सिंग की पढ़ाई के लिए बाहर न जाना पड़े। यहीं सुविधा मिले। इसके लिए डेढ़ साल पहले योजना तैयार हुई थी। इसके बाद जमीन चयन को लेकर विभाग से पत्राचार हुआ, लेकिन जमीन तलाशने की प्रक्रिया कहा तक पहुंची इसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है। जिम्मेदारों की उदासीनता के कारण प्रक्रिया भी फाइलों में दबकर रह गई है।
शुरू हो सकता है कॉलेज:
नर्सिंग कॉलेज को लेकर शहरवासियों का कहना है कि जिम्मेदार चाहे तो इसी शिक्षण सत्र में कॉलेज का संचालन करा सकते है। किसी भी सरकारी भवन में वैकल्पिक तौर पर कक्षाएं शुरू कराई जा सकती है। कॉलेज संचालित हो जाने से छात्रों को बाहर भी नहीं जाना पड़ेगा।
जिले में नर्सिंग कॉलेज खुल जाता तो पढ़ाई के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता। कॉलेज खुल जाने से बेरोजगारों को रोजगार के साधन भी उलपब्ध होते।
विकास दुबे, छात्र।
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नर्सिंग कॉलेज खुलने से जिले का विकास होता। मेडिकल के क्षेत्र में पढ़ाई करने वाले लोगों को रोजगार के अवसर मिलते। दूसरे शहरों में पढ़ाई के लिए जाने की जगह यहीं बेहतर सुविधा मिलती।
दीपिका बाजपेयी, छात्रा।
जिले में नर्सिंग कॉलेज को लेकर मुझे जानकारी नहीं है। चिकित्सा शिक्षा विभाग से अगर कोई प्रक्रिया चल रही होगी तो जानकारी वहीं से मिलेगी।
डॉ. एसके निगम सीएमएचओ कटनी