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जैविक खेती से बढ़ाई कमाई, महिलाओं के लिए उदाहरण बनीं मंजूलता

locationकटनीPublished: Mar 04, 2022 11:19:58 pm

बंडा गांव निवासी मंजूलता हल्दकार का परिवार परंपरागत खेती करता था और साल भर में दो फसलें व कुछ सब्जी ही परिजन खेतों में उगाते थे। जैविक खेती अपनाने के बाद परिवार की आय बढ़ गई.

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बंडा गांव निवासी मंजूलता.

कटनी. बंडा गांव निवासी मंजूलता हल्दकार का परिवार परंपरागत खेती करता था और साल भर में दो फसलें व कुछ सब्जी ही परिजन खेतों में उगाते थे। जैविक खेती अपनाने के बाद परिवार की आय बढ़ गई। वर्ष 2014 में मंजूलता को अन्य महिला कृषकों के साथ कृषि विभाग के सहयोग से सरकार की आत्मा परियोजना के तहत कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर भ्रमण पर जाने का अवसर मिला।

जहां मंजूलता ने जैविक खेती के फायदों की जानकारी ली और जैविक खाद उत्पाद बनाने की विधि भी सीखी। कृषि विश्वविद्यालय के अलावा कृषि विज्ञान केन्द्र पिपरौध व जैविक पाठशाला में भी मंजूलता ने प्रशिक्षण व जानकारी प्राप्त करने के बाद अपने यहां खाद बनाना प्रारंभ किया। मंजूलता ने बताया कि पहले उनका परिवार सिर्फ धान व गेहूं की खेती करता था लेकिन वर्तमान में उनके खेतों में धान व गेहूं के अलावा सब्जी की भी सालभर खेती होती है। इसमें टमाटर, आलू, मटर, बैगन, करेला व अन्य शामिल हैं।

वर्तमान में उनके खेतों में जहां एक एकड़ में टमाटर लगे हुए हैं तो इतने ही रकबा में उन्होंने मटर लगा रखी है। महिला कृषक द्वारा अपने खेतों में किसी भी प्रकार के रासायनिक खादों व कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता है और यही कारण है कि उनके खेतों से निकलने वाली सब्जी की मांग अधिक होती है। जैविक तरीके से खेती करने के चलते अब मंजूलता व उसके परिवार को अतिरिक्त आय प्राप्त हो रही है। सालभर में वे जो भी सब्जी उगाती हैं, उनमें प्रत्येक सब्जी की फसल में उन्हें 15 से 20 हजार रूपये की आय हो जाती है। गर्मी के दिनों में भी अब उनके खेत खाली नहीं रहते हैं और वे सालभर में 3 से 4 फसल उगा रही हैं।

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