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जब इन्होंने कहा अगर मर जाऊं तो मुझको तिरंगे का कफन देना…

locationकटनीPublished: Mar 24, 2019 03:32:39 pm

Submitted by:

balmeek pandey

घंटाघर में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में कवियों ने समां बांधा

Organizing poet conference in Katni

Organizing poet conference in Katni

कटनी. होली के पर्व पर घंटाघर स्थित रामलीला मैदान में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। मुक्तिधाम विकास समिति, कटनी टेंट लाइट एसोसिएशन, ओम प्रकाश सरावगी संस्कार सदन निशुल्क विद्यालय, बधाई उत्सव समिति एवं संस्था जनपरिषद द्वारा होली कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन में देश के ख्यातिलब्ध हास्य ओज व श्रंगार रस के कवियों ने देश की राजनैतिक विसंगतियों पर तीखे कटाक्ष किए तो वहीं श्रंगार रस से ओतप्रोत मुक्तक गीत गजलों से कवियित्रों ने कार्यक्रम को ऊंचाईयां प्रदान की। साहित्यिक आयोजन नगर के कवि द्वय मनोहर मनोज, प्रकाश प्रलय व टेंट लाईट एसोसिएशन अध्यक्ष अजय सरावगी, सतीश सरावगी, रजनीकांत गुप्ता, प्रेमप्रकाश दीक्षित की विशेष भूमिका रही। कवि सम्मेलन में प्रकाश पटैरिया, सुरेन्द्र यादवेन्द, अर्जुन अल्हड़, शायर सूरजराय सूरज, शायद शाहिद अंजुम, चेतन चर्चित, अना देहलवी, गौरी मिश्रा, नम्रता जैन, निषा पंडित, सुश्रुत मयंक, भगवान सहाय, कटनी की धरा पर हास्य व्यंग्य गीत गजल ओज से अपार जनसमूह को तालियां बजवाने एवं वाहवाह करने के लिए मजबूर करते रहे। कार्यक्रम का प्रथम चरण का स्वागत संचालन हास्य व्यंग्य कवि प्रकाश प्रलय एवं कवि सम्मेलन का शालीन संचालन हास्य व्यंग्य कवि अशोक सुंदरानी द्वारा किया गया।

गीत गजलों की आकर्षक प्रस्तुति
कार्यक्रम का शुभारंभ छतरपुर से आमंत्रित कवि सुश्रुत मयंक ने हमको हमारी मातृभूमि का दुनिया में सम्मान चाहिए, जहां नाम इंसान का हो ऐसा हिंदुस्तान चाहिए। क्रम को आगे बढाते हुए आगरा से पधारे कवि भगवान सहाय ने धरती को, अंबर को जोड़ के चला गया, कालचक्र का भी रथ मोड के चला गया। वातावरण को हास्य में परिवर्तित करने के लिए कोटा से पधारे अर्जुन अल्हड़ ने खूब तालियां बटोरी। जीवन की आपाधापी में हम हंसना भूल गये, हंसते-हंसते ही तो भगत सिंह फांसी पर झूल गए। नैनीताल से आमंत्रित गौरी मिश्रा के साथ हीदिल्ली से पधारी कोकिल कंठी अना देहलवी ने सस्वर किरण देना, सुमन देना, चमन देना, न धन देना, वतन वालों मुझे तो सिर्फ इतना सा वचन देना, अना दिल में मेरे कोई तमन्ना हैं वो इतनी, अगर मर जाऊं तो मुझको तिरंगे का कफन देना। श्रोता ने खडे होकर इनका सम्मान किया। नम्रता जैन ने ऐसे देशद्रोहियों पर अभियान चलाना ही होगा, हमको अपने भारत का स मान बचाना ही होगा के साथ ही उज्जैन से पधारी कवियित्री निशा पंडित ने तु हारी चांदनी में तुम सिंदूरी शाम बन जाओ, हृदय में मैं बसा लूं, तुम मेरे भगवान बन जाओ, मैं अपनी पलकों से राहें, तु हारी यूं बुहारूगी। बनूं मैं राधिका गर मेरे तुम घनश्याम बन जाओ ने श्रोताओं से इन पंक्तियों पर खूब प्यार पाया।

साहित्यकारों को अलंकरण से नवाजा गया
कार्यक्रम के पूर्व आमंत्रित गणों को ओमप्रकाश सरावगी, शंकुनतला सरावगी, मोहनी गुप्ता, अनूप गुप्ता सम्मान एवं शाल श्रीफल प्रतीक चिन्ह से विजय सरावगी, विमल सरावगी सतीश सरावगी, मनीष सरावगी, रजनीकांत गुप्ता ने सम्मानित किया। शायर मारूफ अहमद हनफी द्वारा प्रकाशित गुलश-ए-अदब मासिक पत्रिका का होली विशेषांक आमंत्रित कविगणों ने विमोचित किया।

अमर शहीद अश्वनी काछी को 51 हजार भेंट
कवि सम्मेलन में टेंट लाईट एसोसिएशन अध्यक्ष अजय सरावगी द्वारा पुलवामा हमले में अमर शहीद जिले के अश्वनी काछी के परिजनों को 51 हजार रूपये की राशि एसोसिएशन द्वारा भेंट की गई। वहीं मंच पर मौजूद साहित्यकार प्रकाश पटेरिया छतरपुर द्वारा शहीद परिवार को 11 हजार रूपये की राशि भेंट करने की घोषणा की गई। कार्यक्रम के अंत में सुरेन्द्र यादवेन्द्र की चर्चित कविता तिरंगा वंदे मातरम श्रेष्ठ कविता के साथ जलसैलाब ने खडे होकर सामूहिक गान के साथ अमर शहीदों को भारत माता के उदघोष के साथ सदभावनापूर्ण कार्यक्रम का समापन हुआ।

इनकी रही उपस्थिति
इस मौके पर भगवानदास माहेश्वरी, युगल किशोर गट्टानी, साहित्यकार रामखिलावन गर्ग, मारूफ अहमद हनफी, चीनी चेलानी, अभिलाष दीक्षित, मगन जैन, विष्णु बाजपेयी, अनिल नेमा, रमेश गुप्ता, राजेन्द्र दुबे, कमल खूबचंदानी, राजेश प्रखर, शिवकुमार जालिम यादव, कैलाश जैन सोगानी, सीमा सोगानी, शिल्पी सोनी, मीना चौधरी, गीता गुप्ता, लाला सिंघानिया, नान गट्टानी, अरविंद तिवारी सहित सैकडों साहित्यप्रेमियों सहित श्रोताओं की उपस्थिति रही। कार्यक्रम में खियलदास पंजवानी, अजय सिंह,सौरभ जैन, राजू रजक, संदीप गुप्ता, सतीश खम्परिया, कन्हैया श्रीवास्तव, ईमामउद्दीन मामू, कैलाश माल,राजकुमार अग्रवाल, गोपी रैकवार,केशव साहू, वंशी निषाद, विंदेश्वरी पटेल, भवानी तिवारी, गनपत सिंह, गोविंद सिंह चौहान, लक्ष्मण प्रसाद साहू, श्रीराम चौरसिया, घनश्याम रजक, राधिक प्रसाद खरे आदि की भी भूमिका रही।

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