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बच्चों की किताबों के नाम पर लुट रहे पालक, पढि़ए खबर

locationकटनीPublished: Mar 16, 2019 11:05:21 am

Submitted by:

dharmendra pandey

एनसीआरटी की जो किताब 330 में उपलब्ध, निजी स्कूलों के कारण 3 हजार रुपये देने विवश पालक
 

Parents living in the name of children's books

Parents living in the name of children’s books

कटनी. जिलेभर की निजी स्कूलों में किताब-कॉपी व यूनीफॉर्म में कमीशन का खेल चालू हो गया है। इस खेल में निजी स्कूल संचालक, दुकानदार व प्रशासनिक अफसर सांठगांठ कर कमाई करते हैं। अधिकांश निजी स्कूलों में एनसीआरटी (नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड टे्रनिंग) की जगह प्राइवेट लेखकों की किताबों से पढ़ाई कराई जा रही है। सिर्फ सरकारी स्कूलों में ही एनसीआरटी की किताबों से पढ़ाई कराने संबंधी नियम का पालन किया जा रहा है।

प्राइमरी से लेकर कक्षा 8वीं तक की एनसीआरटी की किताबों का जो सेट बाजार में 300 से 400 रुपये के बीच मिलता है। वहीं निजी पब्लिशर्स की प्राइमरी से लेकर कक्षा 8वीं तक की किताबों को सेट 1200 से 3000 के बीच मिल रहा है। 2019-20 के नए शिक्षण सत्र के लिए निजी स्कूल संचालकों ने पालकों से निजी पब्लिर्श की पुस्तकें लेने कहा है। जाहिर है इसका सीधा नुकसान पालकों को होगा।

खास-खास:
– पत्रिका टीम की पड़ताल में पता चला कि प्राइवेट पब्लिशर्स की किसी भी किताब की कीमत सौ रुपये से कम नहीं है, जो बढ़कर चार सौ रुपये तक है।
– एनसीआरटी की किताब का दाम 55 से 60 रुपये के बीच है। इसके साथ ही कक्षा 8वीं की तक एनसीआरटी की किताबों के दाम भी कम है।
– एडमिशन के लिए निजी स्कूल पहुंचने वाले पालकों को दलालों के माध्यम से बताया जा रहा है कि किस दुकान से पुस्तकें लेनी है।
– जिलेभर में 420 निजी स्कूल हैं। यहां हर साल एक लाख से ज्यादा बच्चों की किताब में कमीशन का खेल लाखों रुपये से अधिक है।
– सीबीएसइ स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली पुस्तकों का दो दुकानों में मिलना अनिवार्य किया गया है। इसका पालन भी नहीं हो रहा है।
इनका कहना है
मामले का पता लगवाते है। यदि ऐसा है तो संबंधित स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
एसएन पांडे, डीइओ।

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