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#Stop Singleuse plastic: दुर्गा पंडाल में महापौर ने चाय पीने से कर दिया मना, समिति वालों ने उठाया ये कदम…

locationकटनीPublished: Oct 07, 2019 12:59:31 pm

Submitted by:

balmeek pandey

देशभर में स्वच्छता को लेकर बड़ा अभियान चल रहा है। लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरुक किया जा रहा है। वहीं सिंगल यूज प्लास्टिक के बढ़ते दुष्परिणाम को लेकर भी वृहद अभियान चल रहा है। नगर निगम द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगाने जन जागरुकता रैली, नुक्कड़ नाटक, रंगोली, संगोष्ठी व जागरुकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।

People boycott single use plastic in katni

People boycott single use plastic in katni

कटनी. देशभर में स्वच्छता को लेकर बड़ा अभियान चल रहा है। लोगों को स्वच्छता के (Pollution) प्रति जागरुक किया जा रहा है। (single use plastic) वहीं सिंगल यूज प्लास्टिक के बढ़ते दुष्परिणाम को लेकर भी वृहद अभियान चल रहा है। (plastic) नगर निगम द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगाने जन जागरुकता रैली, नुक्कड़ नाटक, रंगोली, संगोष्ठी व जागरुकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इन सबके बीच शनिवार को खिरहनी में अलग ही मामला सामने आया। महापौर शशांक श्रीवास्तव ब्रांड एम्बेस्डर ब्रजमोहन गट्टानी, अनिल खरे, आशीष कंदेले आदि के साथ खिरहनी फाटक स्थित दुर्गा पंडाल पर पहुंचे। यहां पर समिति के लोगों ने महापौर व उनके साथियों का स्वागत करने चाल लेकर पहुंचे। चाय प्लास्टिक के डिस्पोजल में थी। जैसे ही महापौर ने डिस्पोजल में चाय देखी, पीने से मना कर दिया और कहा कि यह हम सबके लिए बहुत घातक है। इसके बाद चाय वापस कर दी गई। महापौर ने इस दौरान सभी से अपील करी कि सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करें।

समिति वाले आए आगे
महापौर ने जब चाय पीने से साफ मना किया तो समिति वाले कुछ समय के लिए ठिठक से गए। लेकिन जब महापौर ने कहा कि प्लास्टिक के डिस्पोजल में चाय पिलाकर आप मेरा नुकसान तो कर ही रहे हैं, साथ ही प्रदूषण भी फैला रहे हैं तो समिति वालों ने भी संकल्प लिया कि अब सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग नहीं करेंगे। अपने आसपास भी लोगों को जागरुक करेंगे।

पंडालों में दिलाई शपथ
वहीं रविवार की शाम महापौर नगर निगम की टीम के साथ शहर के अधिकांश दुर्गा पंडालों में पहुंचे। यहां पर समिति के लोगों को सिंगल यूज प्लास्टिक के दुष्परिणाम बताए। साथ ही भंडारे में सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करने शपथ दिलाई। सभी से भंडारा व प्रसाद वितरण में पत्तल-दोना का उपयोग करने अपील की।

 

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यह है शहर में प्लास्टिक का उपयोग
प्लास्टिक से लगातार बढ़ रहे प्रदूषण और विकृत होते इको सिस्टम के बाद सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग कम होने के बजाय दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है। अकेले कटनी शहर प्रतिदिन 120 क्विंटल सिंगल यूज प्लास्टिक उगल रहा है। सिंगल यूज प्लास्टिक को पर्यावरण के साथ ही मानव स्वास्थ्य के लिहाज से सबसे खतरनाक माना जाता है। पर्यावरण विद इस पर जल्द से जल्द प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारियों के अनुसार एक बार इस्तेमाल कर फेंक दी जाने वाली पन्नियों, बोतलों व खाने-पीने के बाद उपयोग कर फेंक दी जाने वाली प्लास्टिक का उपयोग ज्यादा हो रहा है। इस प्लास्टिक के नष्ट और रिसाइकिल नहीं होने से इससे नुकसान भी ज्यादा है।

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सिंगल यूज प्लास्टिक और विकल्प
सिंगल यूज प्लास्टिक में सर्वाधिक उपयोग पानी पाउच से लेकर शैंपू, हेयर ऑयल व अन्य उत्पाद की पैकिंग में उपयोग पाउच शामिल है। इसका कोई विकल्प नहीं है, जिसे इस प्लास्टि के स्थान पर इस्तेमाल किया जा सके। इसके बाद प्लास्टिक कप व ग्लास का इस्तेमाल होता है। इसके विकल्प के तौर पर कुल्हड़ व कांच के ग्लास का उपयोग किया जा सकता है। जूस व अन्य पेय पीने के उपयोग में लाई जाने वाली पाइप का उपयोग भी बढ़ रहा है। इसका विकल्प कागज की पाइप हो सकती है। सिंगल यूज प्लास्टिक में सबसे ज्यादा उपयोग प्लास्टिक बैग का होता है। इसके विकल्प के तौर पर हमे जूट व कपड़े के बैग साथ लेकर चलने की आदत डालनी होगी। प्लास्टिक बोतल जिसमें पानी, तेल व अन्य सामग्री की पैकिंग होती है। इसके विकल्प के तौर पर तांबा व अन्य धातुओं की बोतलों का उपयोग जरुरी है। प्लास्टिक प्लेट के विकल्प के तौर पर केला और कमल व अन्य पत्तों का पत्तल उपयोग मेें लाना चाहिए।

 

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शरीर के भीतर पहुंच कर नुकसान पहुंचा रहा प्लास्टिक
जिला अस्पताल के डॉ. एसके शर्मा बताते हैं कि सिंगल यूज प्लास्टिक माइक्रो प्लास्टिक में बदलकर धीरे-धीरे हमारी फूड चेन में शामिल हो रहा है। यह एक नॉन-बॉयोडिग्रेडेबल पदार्थ है जो बैक्टीरिया के द्वारा सामान्य रुप में नष्ट नहीं होता है। प्लास्टिक की छोटी से पॉलीथिन को भी पूरी तरह से नष्ट होने में हजारों साल का समय लग जाता है। प्लास्टिक बैग्स व अन्य वस्तुएं बनाने में उपयोग होने वाले केमिकल काफी जहरीले होते है, इनमें जायलेन, एथलीन ऑक्साइड और बैनजीन जैसे खतरनाक रसायन होते है। हमारे दिनचर्या में शामिल प्लास्टिक अब भोजन के जरिए शरीर की नसों में धीमे जहर के रुप में प्रवेश कर रहा है। जिस पानी को हम पीते है उसमें प्लास्टिक के सूक्ष्म कण मिलने लगे है। प्लास्टिक हमारी पीढिय़ों के लिए घातक सिद्ध होने वाला है।

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