परिजन इसके लिए कम से कम पांच डोनर अपने खर्चे पर जबलपुर लेकर गए। वहां एंटीबॉडी टेस्ट और फुल बॉडी टेस्ट के बाद किसी एक रक्तदाता को रक्तदान के लिए चयन किया गया।पैथोलॉजी में प्लाज्मा तैयार कर एक यूनिट का दस हजार रुपये राशि जमा हुई। परिजन बताते हैं कि कटनी से पांच डोनर जबलपुर ले जाना। वहां पैथोलॉजी में प्लाज्मा शुल्क और आने-जाने का खर्चा जोड़ दिया जाए तो कई बार बीस हजार रुपये तक खर्च हो रहे हैं।
इन सबके बाद भी बड़ी समस्या यह है कि प्लाज्मा तैयार कर जबलपुर से लाने में 24 घंटे से ज्यादा समय लगता है। इस बीच कटनी में भर्ती मरीज को इमरजेंसी में जान बचाना तक मुश्किल हो जाता है। कुछ मामले ऐसे भी रहे हैं जिसमे प्लाज्मा आते तक मरीज की जान ही चली गई।
जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. यशवंत वर्मा ने बताया कि अस्पताल में ब्लड कंपोनेंट मशीन लगाने के लिए भोपाल से जानकारी मांगी है। हम जिला अस्पताल में मशीन लगाने के लिए जगह चिन्हित कर रिपोर्ट भेज रहे हैं।
संभावना जताई जा रही है कि दो माह में मशीन लग सकती है। मशीन लग जाने के बाद अलग-अलग कंपोनेंट में रक्त की जरूरत पडऩे पर मरीज को रक्त की सुविधा कटनी में ही उपलब्ध होगी।
कोरोना के बढ़ते संक्रमण और प्लाज्मा जरुरत के बीच कटनी जिला अस्पताल में प्लाज्मा मशीन (ब्लड कंपोनेंट मशीन) लगाने की मांग लंबे अरसे से चल रही है। नागरिकों का कहना है कि कोरोना काल में ही जरूरत पडऩे पर मरीजों के परिजनों को जबलपुर से प्लाज्मा तैयार कर लाने में बड़ी राशि खर्च करनी पड़ी। कई गरीब परिवारों के लिए 15 से 20 हजार रूपये खर्च करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में जरूरी है कि कटनी में जल्द से जल्द ब्लड कंपोनेंट मशीन लगाई जाए।