सपना ही रह गई धुआं मुक्त रसोई
कटनी जिले के बहोरीबंद विकासखंड के नेगवां गांव में भी आदिवासी परिवारों को प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत गैस सिलेंडर का वितरण किया गया था। लेकिन गांव में उज्जवला योजना के तहत लाभांवित होने वाली आदिवासी महिलाओं की लगभग एक जैसी ही कहानी है। फिर चाहे श्यामबाई आदिवासी हों या फिर समझरानी या फिर आजादरानी या सुमन। सबका कहना है कि प्रधानमंत्री उज्जवला योजना में उन्हें गैस का सिलेंडर तो मिला, लेकिन मिलने के तीन साल बाद भी उसकी एक बार भी रिफलिंग नहीं हुई। जिससे इन परिवारों के लिए धुआं मुक्त रसोई आज भी सपना है। रसोई गैस की रिफलिंग में कई परिवारों को महंगाई के कारण परेशानी हो रही है तो वहीं ज्यादातर परिवार ऐसे भी हैं जिनके लिए लकड़ी ही भोजन पकाने में ईंधन का प्रमुख साधन है।
ये भी पढ़ें- 11 साल छोटे कॉन्सटेबल से महिला को हुई मोहब्बत, थाने के सामने धरने पर बैठी, देखें वीडियो
क्या कहते हैं अधिकारी ?
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारी बताते हैं कि जिन परिवारों को पूर्व में कनेक्शन मिला है, वे घर से ही रिफलिंग करवा सकते हैं। इसके लिए गांव-गांव 23 एजेंसियों के माध्यम से गैस सिलेंडर की आपूर्ति करवाई जा रही है। वहीं बता दें कि इन दिनों एक बार फिर जिले में उज्जवला योजना 2.0 आ रही है जिसके तहत 21 हजार परिवारों को नए गैस कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया है। खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा इसके लिए जिलेभर में शिविर आयोजित कर महिलाओं के आवेदन भरवाए जा रहे हैं।
ये भी पढ़ें- कलेक्टर ने युवक से हाथ से साफ कराया थूक, ये है पूरा मामला
फैक्ट फाइल
– 23 एजेंसियों के माध्यम से घरेलू गैस का वितरण ।
– 140 कैंप आयोजित कर लोगों को दी गई जानकारी ।
– 6 हजार 794 आवेदन पहले से एजेंसियों के पास थी जमा ।
– 11 हजार 682 महिला आवेदकों ने कुछ दिनों में पूरी प्रक्रिया ।
– 18 हजार 476 लोगों ने पीएम उज्जवला योजना में दिखाई दिलचस्पी ।
– 16 हजार 444 लोगों के आवेदन की प्रक्रिया।