कटनी

नमूने देने पंजीयन के पांच दिन बाद भी फोन नहीं, निजी अस्पताल बन रहे लूट का अड्डा

प्रशासन ने अब तक निजी अस्पतालों के लिए जारी नहीं की दरों की सूची, कई परिवार आर्थिक झेल रहे आर्थिक त्रासदी.

कटनीApr 25, 2021 / 11:19 pm

raghavendra chaturvedi

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कटनी. कोरोना के लगातार बढ़ते संक्रमण के बीच सैकड़ों परिवार समय पर यह जानकारी भी प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं, कि वे कोरोना पॉजिटिव हैं या नहीं। उनकों बुखार, खासी की समस्या सामान्य वायरल के कारण तो नहीं है। इतना ही नहीं जिन लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई तो वे या तो सरकारी अस्पताल में अव्यवस्थाओं के बीच इलाज करवाने विवश हैं, या फिर निजी अस्पतालों की लूट का शिकार होकर आर्थिक त्रासदी झेल रहे हैं। पीडि़त परिवारों का दो टूक कहना है कि जिला प्रशासन लोगों की समस्याओं को ध्यान में रखकर निर्णय नहीं ले रही है। इसका खामियाजा शहर से लेकर गांव-गांव तक लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

इस बारे में एसडीएम बलबीर रमण बताते हैं कि नमूने देने के लिए ऑनलाइन पंजीयन में समय पर फोन क्यों नहीं किया जा रहा है इस बारे में स्वास्थ्य विभाग से बात करते हैं। निजी अस्पतालों में मनमाना राशि ली जा रही है तो कलेक्टर को जानकारी देंगे। कोशिश होगी कि निजी अस्पतालों के लिए दरें तय की जाए।

जिला प्रशासन ने कोविड-19 संक्रमण का पता लगाने के लिए लोगों को ऑनलाइन पंजीयन करवाकर कतार से बचने की पहल की थी, लेकिन प्रशासन की व्यवस्था दिखावा ही साबित हो रही है। नागरिकों ने बताया कि ऑनलाइन पंजीयन करने के पांच दिन तक फोन नहीं आ रहा है कि कब जाकर नमूने देने हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा रहा है कि अगर कोई संक्रमित है तो लेटलतीफी से उसे कितना नुकसान होगा।

नागरिकों ने बताया कि कोरोना संक्रमण बढऩे के साथ ही कई निजी अस्पताल आनन-फानन में खुल गए। प्रशासन का दावा है कि ये अस्पताल लोगों की सेवा करने खुले हैं, लेकिन इसके उलट ये लूट का अड्डा बन गए हैं। कोई कोविड-19 पॉजिटिव इलाज के लिए पहुंच गया तो दो से तीन लाख रूपये तक ऐंठ रहे हैं।

दुगाड़ी नाला के समीप और आदर्श कॉलोनी के अलावा शहर के दूसरे कई स्थानों पर ऐसे अस्पताल खुल गए हैं को कोरोना संकट काल में आपदा में अवसर तलाश रहे हैं। नागरिकों को खुलेआम लूट रहे हैं।

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