सीवरलाइन निर्माण में लगातार लेटलतीफी, कार्रवाई नोटिस तक सीमित-
शहर का डे्रनेज सिस्टम व्यवस्थित करने के लिए 2018 में स्वीकृत 96 करोड़ 50 लाख रुपए का प्रोजेक्ट बढ़कर 108 करोड़ रुपए का हो गया, लेकिन काम की गति बढ़ी न ही गुणवत्ता में सुधार हुआ। निर्माण प्रोजेक्ट के जिम्मेदारों की मनमानी नागरिकों की सुविधाओं पर भारी पड़ रहा है। माधवनगर के कई गली ऐसे हैं जहां पाइप लाइन डालने के दो साल बाद सड़क नहीं बनाई गई।
2020 में पूरा होना था, लगातार बढ़ाई जा रही अवधि-
आम जनता के टैक्स के पैसे से होने वाले इस निर्माण का आलम यह है कि लगातार लेटलतीफी में कार्रवाई के बजाए अवधि बढ़ाई जा रही है। काम 2020 में पूरा किए जाने का लक्ष्य रखा गया था। इसके बाद कई बार अवधि बढ़ाई गई। अब अवधि बढ़ाकर मार्च 2022 तक कर दिया गया है।
काम की गति और गुणवत्ता के लिए पीडीएमसी पर लाभ नहीं-
बड़े प्रोजेक्ट में समय रहते काम पूरा करने के लिए प्रदेश सरकार ने प्रोजेक्ट डेव्हलपमेंट मॉनीटरिंग कंसलटेंट (पीडीएमसी) की नियुक्ति की है। इसके एवज में बड़ी राशि भी पीडीएमसी के इंजीनियरों को दी जा रही है। जानकर ताज्जुब होगा कि इसके बाद भी लाभ नागरिकों को नहीं मिल रहा।
इस बारे में पीडीएमसी के इंजीनियर विशाल सैनी बताते हैं कि केके स्पन कंपनी काम करवा रही है। काम पूरा होने की अवधि की तुलना में प्रत्येक माह होने वाले काम का बंटवारा किया गया है। अब तक ठेका कंपनी को 34 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है। गति नहीं बढ़ी तो आगे की कार्रवाई की जाएगी।
वहीं नगर निगम के कार्यपालन यंत्री शैलेष जायसवाल का कहना है कि सीवर लाइन ठेकेदार कुछ दिनों से काम नहीं कर रहा है। गति तेज नहीं होने के कारण उसे वार्निग नोटिस दिया जा रहा है। सुधार नहीं हुआ तो टर्मिनेशन की कार्रवाई की जाएगी।