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बेटियों की विवशता: पढऩे की बजाय क्लास में टपक रहे पानी से बचने बेंच खिसकाती रहती हैं बेटियां, देखें वीडियो

locationकटनीPublished: Aug 29, 2018 10:03:41 am

Submitted by:

balmeek pandey

टपकते छप्पर के नीचे पढऩे विवश छात्राएं, सपना बना विधायक और कलेक्टर का आश्वासन, छात्राओं को बैठने नहीं पर्याप्त जगह, रूम में पानी भरने से नहीं लगी कक्षा 9वीं की कक्षाएं

Rain water filled in class form Impressed learning in katni

Rain water filled in class form Impressed learning in katni

कटनी. जगह-जगह से टपक रहे छप्पर और छत के कारण यहां-वहां बेंच खिसकाकर क्लास रूम में बैठने के लिए परेशान छात्राएं…, बारिश की बंूदों से अपने आपको और कॉपी-किताब को बचाने का दिनभर प्रयास, छत-छप्पर से गिरे पानी के कारण शीलन से हर समय संक्रमण का खतरा, फर्श पर भरे पानी के बीच अध्ययन करने की मजबूरी…। ये हालात किसी सुदूर गांव के किसी स्कूल का नहीं बल्कि शहर के बीचो-बीच स्थित शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सिविल लाइन का नजारा है। भारी अव्यवस्था के बीच इस स्कूल में अध्ययन करने के लिए 500 से अधिक छात्राएं विवश हैं। हैरानी की बात तो यह है कि 2 जुलाई को विधायक संदीप जायसवाल ने शीघ्र ही कक्षाएं पुराने आइटीआइ भवन में लगवाने के लिए आश्वासन दिया था, लेकिन अबतक समस्या का समाधान नहीं हुआ।

 

दो शिफ्टों में लगभग 800 छात्राएं
गणेश चौक स्थित कन्याण उमा विद्यालय में दो शिफ्टों में लगभग 800 छात्राएं अध्ययनरत हैं। यह स्कूल दो शिफ्टो में चल रहा है। सुबह 7 से 12 में कक्षा 1 से 5 तक और फिर 6 से 12 तक दोपहर 12 बजे से 5 बजक तक चलता है। स्कूल में कक्षा 9वीं, 10वीं मिलाकर 6 सेक्शन है। इस मान से 6 कमरे, कक्षा 11वीं और 12वीं में तीन-तीन संकाओं की कक्षा के लिए भी 6 कमरों की आवश्यकता है, लेकिन यहां पर मात्र 10 कमरे हैं। उनमें से दो की हालत जीर्ण-शीर्ण होने के कारण कक्षाएं ही नहीं लग रहीं। मंगलवार को चौहाने वाली स्थिति तो यह रही कि क्लास रूम में पानी भर जाने के कारण कक्षा 9वी की कक्षाएं हीं नहीं लगीं।

2015 में हो चुका है जर्जर घोषित
जून 2015 में तत्कालीन कलेक्टर विकास नरवाल ने स्कूल का औचक निरीक्षण किया था। जर्जर बिल्डिंग को देखकर तत्काल उनमें कक्षाएं बंद करते हुए उसे डिस्मेंटल कराने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देशित किया था। इसके बाद कलेक्टर विशेष गढ़पाले ने भी इसकी स्थिति को देखा, लेकिन 4 साल बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है। अभी तक जर्जर भवन डिस्मेंटल नहीं कराया गया। स्कूल की छात्राएं शबीना अंसारी, योगिना, दिव्यांसी द्विवेदी, पिंकी दुबे आदि ने बताया कि जब से बारिश शुरू हुई है जबसे पढ़ाई में बहुत समस्या हो रही है। हर समय छत और छप्पर टपकते रहते हैं। वहीं स्कूल परिसर में जर्जर बिल्डिंग से हर समय हादसे की आशंका बनी रहती है। छात्राओं को हो रही समस्या से सरोकार न तो जिला शिक्षा अधिकारी, ना ही डीपीसी व जिला प्रशासन को है।

विधायक ने दिया था आश्वासन
स्कूल की प्राचार्य व शिक्षकों ने बताया कि 2 जुलाई को विधायक संदीप जायसवाल प्रवेशोत्सव में शामिल होने पहुंचे थे। इस दौरान उनसे निवेदन किया गया था कि आप स्कूल के लिए कुछ कराए या न कराएं छात्राओं के बैठने की व्यवस्था जरुर करा दें, क्योंकि स्कूल में जगह ही नहीं है। एक माह 26 दिन का समय बीत गया है, लेकिन आश्वासन पूरा नहीं हुआ। लिहाजा क्लास रूम में भीगकर छात्राओं को अध्ययन करना पड़ रहा है।

शिक्षकों ने बयां किया दर्द
मंगलवार को जब पत्रिका टीम स्कूल पहुंची तो स्कूल स्टॉफ ने कहा कि यहां का कुछ नहीं होने वाला। महापौर, विधायक, कलेक्टर, जिला शिक्षा अधिकारी, पार्षद से लेकर अन्य जनप्रतिनिधि समस्या को आकर देख चुके हैं, लेकिन समस्या का समाधान आज तक नहीं हुआ। बदहाल व्यवस्था के बीच छात्राओं को पढ़ाने की मजबूरी बनी हुई है।

इनका कहना है
स्कूल में छात्राओं को समस्या है। स्कूल प्रबंधन को शीघ्र ही आइटीआइ भवन में क्लास लगाने के लिए आश्वासन दिया गया था। पिछली नगर निगम परिषद की बैठक में मुद्दा उठाया गया था। आइटीआई भवन में दो साल के लिए स्कूल शिफ्ट करने के लिए सहमति बन गई है। जल्द ही शिफ्टिंग की कार्रवाई कराकर नए भवन निर्माण की प्रक्रिया शुरू कराई जाएगी।
संदीप जायसवाल, विधायक।

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