चुनाव के बाद चलेगा अभियान
जिलेभर में पानी का नियम विरुद्ध तरीके से धंधा चल रहा है। इसमें हैरानी की बात तो यह है कि अबतक कोई जांच ही नहीं हो रही थी। कारोबारी खुद ही कैमिस्ट बने हैं। लेकिन अब यह मनमानी नहीं चलेगी। अब लोकसभा चुनाव के बाद सभी प्लांटों की जांच होगी। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के इंस्पेक्टर जांच करेंगे। मापदंड के अनुसार प्लांट न होने पर इसमें कार्रवाई करेंगे।
पत्रिका कर चुका है आगाह
जिले में शोधित वॉटर के नाम पर चल रहे गोरखधंधे को लेकर पत्रिका ने हाल ही में मामले को उजागर किया है। 20 मार्च 2019 को ‘केवल छह के पास ही लाइसेंस, 10 से अधिक जगहों पर चल रहा कारोबार’ नामक शीर्ष कस खबर प्रकाशित की गई थी।
इस नियम की हो रही अनदेखी
खास बात तो यह है कि नगर निगम सीमा क्षेत्र में इस तरह से पानी को शुद्ध करके लोगों को पिलाने का दावा करने वाला कारोबार संचालित ही नहीं हो सकता। पानी को शुरू करने के लिए भारी मात्रा में पानी फालतू बहता है। इसके प्लांट ग्रामीण क्षेत्रों में ही हो सकते हैं, ताकि बचा हुआ पानी खेतों में सिंचाई सहित अन्य उपयोग में लाया जा सके।
इनका कहना है
हाल ही में अब केन के माध्यम से वॉटर प्यूरीफायर का कारोबार खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के दायरे में आ गया है। शोधित वॉटर भी अब फूड की श्रेणी में आ गया है। चुनाव के बाद जिलेभर के प्लांटों की जांच की जाएगी। पंजीयन और लाइसेंस ऐसे कारोबारियों को अनिवार्य किया गया है। नियमों के विपरीत चल रहे प्लांटों पर वैधानिक कार्रवाई होगी।
डीके दुबे, फूड इंस्पेक्टर, खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग।