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केन वाला पी रहे पानी मंगाकर तो पढ़ें यह खबर, अब फूड सुरक्षा को लेकर उठाया गया ये कदम

locationकटनीPublished: May 03, 2019 11:20:02 am

Submitted by:

balmeek pandey

शोधित कर पानी बेचने वालों के लिए अब पंजीयन व लाइसेंस लेना अनिवार्य, फूड की श्रेणी में आया प्यूरीफायर वॉटर, चुनाव बाद खाद्य सुरक्षा एवं औषधित प्रशासन विभाग करेगा कार्रवाई

kolkata west bengal

Registration required in Food Security Department to sell water

कटनी. जिले में पानी को शोधित कर केन के माध्यम से शादी पार्टी हो या कोई भी समारोह उसमें बेचने और घर-घर सप्लाई का खूब चलन देखा जा रहा है। लोग भी बड़े शौक से उसे लेकर पी रहे हैं। प्यूरीफायर वॉटर वाकई में शुद्ध है या नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं है, क्योंकि अभी तक इसकी जांच नहीं हो रही थी। यहां तक कि इसे अबतक यह फूड नहीं माना जा रहा था। लेकिन हाल ही में इसे फूड की श्रेणी में रखते हुए इस कारोबार की मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग को सौंपी गई है। नोटिफिकेशन-निर्देश के बाद अब विभाग सक्रिय होकर कार्रवाई करेगा। क्योंकि अभी तक सिर्फ पैकेज ड्रिकिंग वॉटर ही विभाग के अंडर में था। आलम यह था कि जिले में एक दर्जन से अधिक स्थानों पर मनमाने तरीके से यह कारोबार जारी है। प्यूरीफॉयर वॉटर जो शोधित वॉटर इसको विभाग चेक भी करेगा। फूड बिजनेस ऑपरेटरों को अब विभाग पंजीयन और लाइसेंस लिया जाना अनिवार्य किया गया है। सभी राज्यों से यह मांग उठी मांग को लेकर सरकार ने यह निर्णय लिया है। जिसपर चुनाव बाद अमल होगा।

चुनाव के बाद चलेगा अभियान
जिलेभर में पानी का नियम विरुद्ध तरीके से धंधा चल रहा है। इसमें हैरानी की बात तो यह है कि अबतक कोई जांच ही नहीं हो रही थी। कारोबारी खुद ही कैमिस्ट बने हैं। लेकिन अब यह मनमानी नहीं चलेगी। अब लोकसभा चुनाव के बाद सभी प्लांटों की जांच होगी। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के इंस्पेक्टर जांच करेंगे। मापदंड के अनुसार प्लांट न होने पर इसमें कार्रवाई करेंगे।

पत्रिका कर चुका है आगाह
जिले में शोधित वॉटर के नाम पर चल रहे गोरखधंधे को लेकर पत्रिका ने हाल ही में मामले को उजागर किया है। 20 मार्च 2019 को ‘केवल छह के पास ही लाइसेंस, 10 से अधिक जगहों पर चल रहा कारोबार’ नामक शीर्ष कस खबर प्रकाशित की गई थी।

इस नियम की हो रही अनदेखी
खास बात तो यह है कि नगर निगम सीमा क्षेत्र में इस तरह से पानी को शुद्ध करके लोगों को पिलाने का दावा करने वाला कारोबार संचालित ही नहीं हो सकता। पानी को शुरू करने के लिए भारी मात्रा में पानी फालतू बहता है। इसके प्लांट ग्रामीण क्षेत्रों में ही हो सकते हैं, ताकि बचा हुआ पानी खेतों में सिंचाई सहित अन्य उपयोग में लाया जा सके।

इनका कहना है
हाल ही में अब केन के माध्यम से वॉटर प्यूरीफायर का कारोबार खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के दायरे में आ गया है। शोधित वॉटर भी अब फूड की श्रेणी में आ गया है। चुनाव के बाद जिलेभर के प्लांटों की जांच की जाएगी। पंजीयन और लाइसेंस ऐसे कारोबारियों को अनिवार्य किया गया है। नियमों के विपरीत चल रहे प्लांटों पर वैधानिक कार्रवाई होगी।
डीके दुबे, फूड इंस्पेक्टर, खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग।

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