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पठार अंचल में जलाशय सूखे, फसल को लेकर चिंतित किसान

गिर रहा जलस्तर, किसानों की सिंचाई भी हो रही प्रभावित

कटनीFeb 06, 2021 / 05:55 pm

narendra shrivastava

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स्लीमनाबाद। रबी सीजन की फसल अभी तक खेतों में लहलहा रही, लेकिन अब पानी की कमी के चलते फसलों पर खतरा मंडराने लगा है। दिनों-दिन गिरते जलस्तर के कारण जलस्रोत सूखने लगे हैं और क्षेत्र में किसानों को सिंचाई करने में परेशानी आने लगी है। साथ ही आने वाले दिनों में ग्रामीण क्षेत्रों में पीने के पानी का भी संकट गहरा सकता है।
इस वर्ष अभी से जलस्रोत सूखने लगे हैं। बहोरीबंद के पठार अंचल में हेण्डपम्पों में पाइप बढोत्तरी पीएचई विभाग के द्वारा की जाने लगी है। ग्राम पंचायतों से हेंडपम्पो में पाइप लाइन बढ़ोत्तरी की डिमांड आने लगी है, जिसमे एवरेज 10 से 12 मीटर पाइप लाइन बढ़ाई जा रही है। वहीं कुआं तो बहुत पहले ही सूख गए और अब ट्यूबवेल भी जवाब देने लगे हैं। यदि इसी गति से जलस्तर नीचे खिसकता रहा तो किसानों को फसल को आगे पानी देने में भी परेशानी होगी। जिन किसानों के खेतों के पास से नदी निकली है वह तो सिंचाई कर लेते हैं, लेकिन जिनके पास कुआं और ट्यूबवेल हैं वह परेशान हैं। सबसे ज्यादा पानी की जरूरत गेहूं की फसल को होती है और इस वर्ष बहोरीबंद विकासखण्ड में गेहूं की बोवनी करीब 25 हजार हेक्टेयर में हुई है। यदि अभी से इसी गति से जलस्तर गिरता रहा तो आने वाले दिनों ग्रामीण क्षेत्रों में पीने के पानी की भी समस्या होने लगेगी, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र में ट्यूबवेल, कुआं ही पानी के मुख्य स्रोत हैं।विकासखण्ड बहोरीबंद ऐसे कई जलाशय है जो सिर्फ खरीफ सीजन के लिए बस उपयोगी होते है,जबकि रबी सीजन की खेती के पहले सूख जाते है। हिनौती जलाशय सूखने से किसानों को रबी सीजन के लिए सिंचाई की सुविधा नही मिल पा रही है।

बारिश हुई तो होगा लाभ
किसान पुरषोत्तम सिंह ने कहा कि कुछ दिनों से आसमान पर बादल छा रहे हैं, जिससे किसान बारिश की उम्मीद लगाए हुए बैठे हैं। यदि बारिश होती है तो इससे किसानों को तो लाभ होगा और सिंचाई का कार्य बंद होने से जलस्तर भी नीचे नहीं खिसकेगा। क्षेत्र में नहर और नदियों से सिंचाई की व्यवस्था न होने के कारण किसान ट्यूबवेल बड़ी संख्या में करा रहे हैं। ट्यूबवेल की गहराई ही 200 से 300 फीट कराई जा रही है। जिससे कम गहराई वाले ट्यूबवेल और कुआं समय से पहले ही सूख जाते हैं। इन ट्यूबवेलों से लगातार सिंचाई होने के कारण जलस्तर नीचे खिसक जाता है।

इनका कहना है
सिंचाई के कारण करीब 12 मीटर जलस्तर नीचे खिसक गया है। लेकिन सिंचाई बंद होने के बाद गर्मियों में जलस्तर बढ़ भी जाता है।
अनिल चुम्लके, उपयंत्री पीएचई विभाग

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