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इन हादसों में 176 ने गंवाई जान, बेहद खतरनाक हैं ये ब्लैक स्पॉट

locationकटनीPublished: Jan 08, 2019 11:08:08 pm

Submitted by:

balmeek pandey

जिलेभर में 33 ब्लैक स्पॉट, हादसों को रोकने नाकाम रही पुलिस, जागरुकता अभियान से भी नहीं बनी बात

Accident

Road accident killed 176 people in katni

कटनी. नए वर्ष में अपराध पर लगाम लगाने के लिए पुलिस अपराधों पर समीक्षा कर रही है। पुलिस सालभर में दर्ज हुए अपराध का आंकलन कर रही है। इसे नियंत्रित करने के लिए नए साल में प्रभावी कदम उठाने की बात कह रही है। हालांकि बढ़ती सड़क दुर्घटना को रोकने की चिंता पुलिस को परेशान कर रही है। हैरानी की बात तो यह है कि पिछले तीन-चार वर्षों में कटनी की सड़कें खून की प्यासी रही हैं। 2018 में हरदिन औसतन 3 सड़क हादसे हुए है इसमें 4 हजार से अधिक लोग घायल हुए हैं, जिसमें कई को गंभीर चोट आई है। वहीं सड़क हादसों में जान गंवाने वालों की संख्या भी पौने 200 के ऊपर पहुंच गई है। हैरानी की बात तो यह है कि सालभर सड़क हादसे होते रहे, पुलिस जागरुकता अभियान की औपचारिकता करती रही, लेकिन हादसों में न तो लगाम लगी न ही मौतों का सिलसिला थमा। अधिकांश लापरवाही के कारण हुए, बावजूद इसके सुधार के कारगर कदम नहीं दिखे। ट्रैफिक पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि हर दूसरे दिन औसतन सड़क हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो रही है। एक 1 जनवरी 2018 से लेकर 30 नवंबर तक जिले में छोटे-बड़े मिलाकर 1019 सड़क हादसे हुए हैं। इसमें 176 लोगों ने अपनी जान गंवाई है। सबसे ज्यादा हादसे कटनी-चांडिल मार्ग एन-43 शहडोल बायपास से लेकर पठरा, कटनी-जबलपुर मार्ग एनएच-7 पीरबाबा बायपास से लेकर छपरा व कटनी रीठी मार्ग पर हुए हैं। इसके अलावा बायपास पर खुली रफ्तार भी भीषण हादसे की वजह बनी है। 7 अप्रैल को बेलगाम ट्रक ने मझगवां में दो ऑटो को कुचलकर 10 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था, जिससे पूरा जिला सिहर गया था। हाल ही में जबलपुर बायपास में हुए भीषण हादसे में इलाहाबाद के गुप्ता परिवार के पांच लोगों की मौत भी भयावह रही। कई हादसों में ग्रामीणों व परिजनों ने जमकर हंगामा भी किया। हादसों को रोकने अधिकारियों ने आश्वासन दिया, लेकिन वे भी हवा-हवाई रहे।

ब्लैक स्पॉट पर नहीं खास इंतजाम
पुलिस द्वारा जिले के मुख्य मार्गों में 33 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए हैं, जहां पर अधिकांश हादसे हुए हैं। लेकिन यहां पर हादसों को रोकने के लिए खास पहल होती नहीं दिखी। ब्रेकर और रिफलेक्टर तो दूर-दूर तक नजर नहीं आते। वहीं हाइवे होने के कारण भी ब्रेकर गायब हैं। पुलिस द्वारा साल में दो से तीन बार सड़क सुरक्षा सप्ताह भी मनाया गया। लोगों को यातायात के टिप्स दिए, लेकिन वे भी काम नहीं आए। चालानी कार्रवाई भी बेअसर साबित हुई। युवाओं को ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूक बनाने के लिए तमाम प्रयास किए. लेकिन तेज रफ्तार का रोमांच पाने की ललक में युवा आज भी यातायात सुरक्षा नियमों की अवहेलना करते सड़कों पर दिख जाते हैं। सड़कों पर सख्ती भी दिखाई, लेकिन इसका कोई खास असर युवाओं पर होता नहीं दिख रहा।

इस लिए हुए हादसे
– वाहनों चालकों की अंधाधुंध रफ्तार।
– आगे निकलने के होड़ में ओवरटेक।
– अपने साइड से वाहन न चलाना।
– वाहन चलाते समय ट्रैफिक नियमों की अनदेखी।
– नशे में धुत्त होकर वाहन दौड़ाना।
– मार्ग में संकेतक और ब्रेकर का अभाव।
– वाहनों में क्षमता से अधिक लोड।
– अपर्याप्त नींद के कारण वाहन चलाना।

इनका कहना है
पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष कम हादसे हुए हैं। ब्लैक स्पॉट चिन्हित कर हादसो को राकने विशेष प्रयास किए जाएंगे। रफ्तार पर लगाम लगाने के साथ ही वाहन चालक ट्रैफिक नियमों का पालन करें इस बात पर फोकस किया जाएगा। चेकिंग अभियान भी तेज किया जाएगा।
मिथिलेश शुक्ला, एसपी।

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