दोनों अस्पतालों ने छिपाया नाम
परिजनों के अनुसार डॉक्टरों की लापरवाही से मरीज की अस्पताल में मौत हो गई। इस मामले में डॉक्टर विकास गुप्ता हॉस्पिटल के कर्मचारी और चांडक हॉस्पिटल के कर्मचारी नाम छिपाते रहे। चांडक हॉस्पिटल के डॉक्टर मनीष गट्टानी का कहना था कि हमारे यहां इको कराने आया था, जब इको होता तो नाम पूछते। मृतक का नाम नहीं पता, शायद कोई जैन थे। वहीं डॉ. विकास गुप्ता से जब इस संबंध में बात की गई तो उनके कर्मचारियों ने फोन उठाया और नाम बताने से मना कर दिया।
इनका कहना है
मेरे यहां मरीज इको कराने आया था। स्टॉफ ने जानकारी दी कि बाहर इंतजार कर रहे मरीज की तबियत खराब है। मैं तत्काल उसको देखा। आवश्यक दवाएं दी, लेकिन वह नहीं बच सका। इस पर मृतक के पुत्रों ने हमकर हंगामा किया व अभद्रता की। जबकि मेरी कोई गलती नहीं थी। इस तरह के वर्ताव से मुझे हंगामा करने वालों से कोई शिकायत नहीं है। किसी के पिता की मौत के बाद हंगामा करना भी जायजा था, लेकिन मुझे अफसोस इस बात का है कि गलती न होने पर अभद्रता करना न्यायसंगत नहीं हैं। ऐसे में चिकित्सक सीरियस मरीज के उपचार से परहेज करेंगे।
डॉ. मनीष गट्टानी, चिकित्सक चांडक हॉस्पिटल।