ट्रक ने मारी ठोकर, गंभीर हालत में लेकर परिजन पहुंचे जिला अस्पताल, घंटो चला रैफर का खेल, मौत
कटनी. लखापतेरी गांव में रहने वाले कपूरचंद भूमिया की बेटी संगीता उम्र करीब 12 वर्ष अब इशारे भी नहीं करेगी। संगीता पहले भी कम बोलती थी, माता पिता ने बताया कि शायद सुनती कम थी। इस कारण वह इशारे में बातें करती थी। बुधवार की सुबह करीब 10.40 बजे जबलपुर की ओर जा रहे एक ट्रक ने लखापतेरी पेट्रोल पंप के पास संगीता को ठोकर मार दी। ट्रक की ठोकर से गंभीर संगीता को इलाज के लिए जिला अस्पताल लाया गया।
दोपहर करीब 12 बजे संगीता को लेकर परिजन जिला अस्पताल पहुंचे। यहां डॉक्टरों ने परीक्षण किया और गंभीर हालत को देखते हुए जबलपुर के लिए रैफर कर दिया। इसके बाद चला रैफर का खेल। बालिका को दोपहर करीब 12.30 बजे एंबुलेंस में लिटा दिया गया। इसके बाद संगीता जल्द से जल्द वह जबलपुर पहुंच जाए ऐसी तत्परता किसी ने नहीं दिखाई। करीब 20 मिनट बाद कुछ कर्मचारी पहुंचे और एंबुलेंस में ही उसे इंजेक्शन लगाए। इसके बाद एंबुलेंस जबलपुर के लिए रवाना हुई। वहीं एंबुलेंस दोपहर करीब 2 बजे वापस अस्पताल पहुंची। एंबुलेंस के कर्मचारी ने बताया कि संगीता अब नहीं रही। ग्रामीणों ने बताया कि गांव से गुजरने वाले हाइवे-7 पर चलने वाले वाहनों में गति नियंत्रित करने का इंतजाम होना चाहिए। खासकर गांव से पहले स्पीड ब्रेकर जरूरी है। जिला अस्पताल परिसर में संगीता का इलाज करवाने बड़ी संख्या में ग्रामीण भी पहुंचे थे। जिला अस्पताल सिविल सर्जन डॉ. उमेश नामदेव ने बताया कि
संगीता का परीक्षण मैने ही किया था, ट्रक की ठोकर लगने के बाद वह गंभीर रूप से घायल थी। हम चाह रहे थे कि उसे जल्द से जल्द से बेहतर इलाज मिले। अस्पताल के गेट के बाहर एंबुलेंस में आधा घंटा कैसे लग गया, पता करवाते हैं। जांच व वार्ड में भर्ती होने के बाद कम्प्यूटर में पर्ची कटवाने की व्यवस्था रिकार्ड सेंट्रलाइज किए जाने के कारण की गई है। पैथोलॉजी व वार्ड में अलग-अलग कम्प्यूटर रखना बजट कारणों से भी संभव नहीं है।
कमियां ये भी:
– अस्पताल में भर्ती होने के बाद वार्ड में बेड लेने और पैथोलॉजी जांच के लिए हर बार कम्पयूटर कक्ष तक आकर पर्ची करवाना जरूरी। किसी मरीज के साथ परिजन न हों तो उसका इलाज ही न हो पाए।
– आपातकॉलीन चिकित्सा कक्ष में कई बार ओपीडी के मरीजों का परीक्षण किया जाता है। जैसे बुधवार की दोपहर ऐसा हुआ। इससे इमरजेंसी में मरीज को जरूरत पडऩे पर सही उपचार मिलना मुश्किल हो जाता है।
– रैफर होने के बाद एंबुलेंस व्यवस्था लेकर जरूरी इलाज में वो तत्तपरता नहीं बरती जाती। ऐसे समय में लोगों की जान बचाना जरूरी होता है। इसके लिए कम से कम समय में बेहतर इलाज पर ध्यान न दिए जाने से भी बढ़ जाती है दिक्कतें।
स्पीड ब्रेकर जरूरी है
स्थानीय निवासी अभिषेक कश्यप व अन्य ग्रामीणों ने बताया कि यहां पर स्पीड ब्रेकर निर्माण की मांग कई बार की गई। हाइवे होने के कारण स्पीड ब्रेकर का निर्माण नहीं करवाया गया। सड़क पर तेज रफ्तार वाहन चलते हैं, इस कारण हर माह कोई न कोई दुघर्टना का शिकार हो रहा है।