उस समय दावा किया जा रहा था कि एक माह में एप बनकर तैयार हो जाएगा। इधर डेढ़ माह बाद भी सरकारी एप चालू नहीं होने से इसका असर सीधे तौर पर शासकीय कार्यालयों में सेवाएं दे कर्मचारियों की नियमितता और काम की अवधि पर पड़ रहा है।
इस पर इ-गर्वनेंश के सौरभ नामदेव बताते हैं कि मैपआइडी से मॉनीटरिंग एप बनवाने की तैयारी चल रही है। इस संबंध में भोपाल बात की जा रही है। एप कब तक बनेगा यह भोपाल से बात करने पर स्पष्ट होगा।
वहीं कलेक्टर एसबी सिंह का कहना है कि लोकसेवक एप के बिना भी कर्मचारियों की मॉनीटरिंग करेंगे। जो कर्मचारी लापरवाही बरतेंगे उन पर ठोस कार्रवाई की जाएगी।
लोकसवेक एप से मॉनीटरिंग बंद होने का ये असर:
– ग्रामीण अंचल में संचालित स्कूलों में ज्यादातर शिक्षक निर्धारित समयावधि से आधा से एक घंटे विलंब से पहुंचते हैं और तय समय से पहले ही स्कूल से वापस भी आ जाते हैं। स्कूल में शिक्षक यह काम क्रमबद्ध तरीके से कर रहे हैं।
– पीडब्ल्यूडी, जलसंसाधन, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क सहित अन्य विभाग जिनके कर्मचारी ज्यादातर समय फील्ड में रहते हैं अब ऐसा नहीं हो रहा है। इंजीनियर ऑफिस कम ही आ रहे हैं और फील्ड के बजाए घर से ही ड्यूटी हो रही है।
– लोकसेवक एप चालू रहने के दौरान पटवारी या तो फील्ड में होते थे या फिर ऑफिस में। एप बंद होने के बाद अब ज्यादातर गांव में ग्रामीण पटवारी को ढूंढऩे विवश हैं। फील्ड में बताकर पटवारी कहीं और होते हैं। लोकसेवक एप में लोकेशन ट्रेस होने से पटवारी गड़बड़ी नहीं कर पाते थे।
यह भी जानें :
– प्रदेश में लोकसेवक एप सबसे पहले कटनी जिले में चालू हुआ। कलेक्टर विशेष यहां से खंडवा गए तो वहां भी लोकसेवक चालू करवाए। खंडवा में लोकसेवक की तारीफ नीति आयोग ने भी की है।
– कटनी में लोकसेवक चालू होने के बाद सबसे ज्यादा विरोध शिक्षक संगठनों द्वारा किया गया। न्यायालय तक की शरण ली गई। तब न्यायालय ने लोकसेवक को सही बताया था और कटनी में धीरे-धीरे कर्मचारी एप पर हाजिरी लगाने तैयार हुए।
– लापरवाह कर्मचारियों से होने वाली वेतन कटौती हर माह एक लाख रुपये से भी अधिक होती थी। दूसरी ओर लोकसेवक एप 12 हजार रुपये प्रति महीने की दर पर संचालित था।