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कटनी

नसबंदी के बाद भी गूंजी किलकारी, मुआवजे पर भारी लापरवाही

Sterilization operations are failing

कटनीDec 06, 2024 / 10:32 pm

balmeek pandey

Basti ward boy operated woman in basti

वित्तीय वर्ष में 10 ऑपरेशन हुए फेल, पिछले सात वर्षों में फेल हो चुके है 89 ऑपरेशन

कटनी. जनसंख्या नियंत्रण को लेकर चलाए जा रहे परिवार नियोजन कार्यक्रम में हर साल जिले में लक्ष्य तय कर महिला एवं पुरूष नसबंदी शिविर लगाकर आपरेशन किए जाते हैं। प्रतिवर्ष करीब छह हजार से अधिक लोग परिवार नियोजन अपनाते रहे हैं। आगे बच्चे की चाह न रखने वाले परिवारों में से कई परिवार ऐसे हैं, जिन्होंने परिवार नियोजन तो अपनाया लेकिन नसंबदी ऑपरेशन के बाद भी किसी न किसी कारण से उनके घर में फिर किलकारी गूंज उठी। आपरेशन फेल हुआ और उसके चलते उनको एक और बच्चे की परवरिश करनी पड़ रही है। वर्ष २०२४-२५ में अबतक इस तरह से करीब १० ऑपरेशन फेल हो चुके है जिसमें परिजनों को न चाहते हुए भी बच्चे का पालन पोषण करना पड़ रहा है। इधर, ऑपरेशन फेल होने पर मिलने वाली सरकारी मदद भी जांच में दफन होती जा रही है। इस वर्ष अबतक सभी प्रकरणों में अनुग्रह राशि नहीं दी गई है। डॉक्टरों का कहना है कि आपरेशन के दौरान मशीनों से नस को दबाने पहनाई जाने वाली रिंग कई बार फेल हुई तो कई बार आपरेशन से पहले महिलाओं की होने वाली जांच में यह बात सामने नहीं आई कि वह गर्भवती हैं। कहीं न कहीं महिलाओं ने चिकित्सकों को सही जानकारी नहीं दी और उसके चलते आपरेशन के बाद भी गर्भ ठहरा। पिछले सात साल के आंकड़े देखे जाएं तो उसमें से 59 मामले सामने आए हैं। पीडि़त परिवारों का कहना है कि सरकारी मुआवजा काफी कम है और लापरवाही के कारण बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
वर्ष 2021-22 में आए अधिक मामले
जिले में वर्ष 2018 से लेकर अभी तक सबसे अधिक नसबंदी आपरेशन फेल होने के मामले वर्ष 2021-22 में सामने आए थे। इस साल 65 सौ से अधिक लोगों ने परिवार नियोजन अपनाया था जिसमें 12 मामले ऐसे थे, जिसमें आपरेशन के बाद भी महिला गर्भवती हो गई। वर्ष 2018-19 में नौ मामले सामने आए थे तो वर्ष 2019-20 में आठ मामले सामने आए। इसी प्रकार वर्ष 2020-21 में सात लोगों ने आपरेशन सफल न होने के चलते अनुग्रह राशि के लिए आवेदन दिया था। वर्ष 2022-23 में छह और वर्ष 2023-24 में सात मामले सामने आए थे तो इस साल अभी तक दस आवेदन कमेटी के सामने पहुंच चुके हैं। सात वर्ष में कुल 59 आवेदन आपरेशन के बाद भी गर्भ होने पर स्वास्थ्य विभाग में पहुंचे हैं।
अबतक 33 हितग्राहियों को दी गई राशि
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार आपरेशन के मामले में पांच प्रतिशत के फेल होने की आशंका रहती है। इसके चलते ऐसे मामलों के सामने आने के बाद उसे कमेटी के बीच रखकर जांच कराई जाती है। जांच में रिंग के फेल होने पर हितग्राही को सरकार की ओर से 30 हजार रुपए की अनुग्रह राशि प्रदान की जाती है। सात साल में सामने आए 59 मामलों में से 33 मामले ऐसे थे, जिसमें रिंग फेल हुई या जांच के बाद गर्भ होने की जानकारी सामने नहीं आई। ऐसे मामलों में हितग्राहियों को निर्धारित राशि का भुगतान कराया गया है। शेष मामले किसी न किसी कारण से रिजेक्ट किए गए हैं।
ऐसे मिलता है क्लेम
नसबंदी का ऑपरेशन होने के बाद यदि पेट में गर्भ धारण हो जाए तो उसे 90 दिन में क्लेम करना आवश्यक है। इससे पहले उसे सोनोग्राफी भी करानी होती है। आवेदक ने अल्ट्रासाउंड नहीं कराया है तो ऐसी स्थिति में विभाग अल्ट्रासाउंड कराएगा। महत्वपूर्ण बात ये है कि जिस अस्पताल में उसने नसबंदी कराई है, वहीं उसे क्लेम का आवेदन करना होगा। साक्ष्य के तौर पर रिपोर्ट जमा करनी होती है।

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ऐसे मामले आए सामने
केस नंबर-१

कन्हवारा निवासी महिला ने कन्हवारा स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से परिवार नियोजन अपनाने के लिए नसबंदी ऑपरेशन 2020 में करवाया था, जिसके बाद वे बच्चों के लालन-पालन में लग गए। इसके बाद वह पुन: 6 महीने की गर्भवती हो गई हैं। नसबंदी ऑपरेशन फेल होने के बाद दंपत्ति परेशान हैं। पति-पत्नी शिकायत करते हुए उचित कार्रवाई की मांग की है।
केस नंबर-दो
ढीमरखेड़ा निवासी एक परिवार की महिला का वर्ष 2018 में शिविर के दौरान नसबंदी आपरेशन कराया गया था। आपरेशन हो जाने के तीन माह बाद महिला को गर्भ ठहरने की आशंका हुई। जिसमें उसने जांच कराई और सोनोग्राफी में गर्भ ठहरने की पुष्टि हुई। जिसके बाद उसने विभाग को जानकारी दी और नियमानुसार जांच कराने के बाद विभाग ने उसे अनुग्रह राशि प्रदान की।
केस नंबर- तीन
बरही क्षेत्र के एक परिवार ने पिछले साल महिला का शिविर में परिवार नियोजन का आपरेशन कराया था। कुछ दिन बाद महिला को गर्भ ठहरने की जानकारी लगी। जिसमें उसने जांच कराई तब आपरेशन के फेल होने की जानकारी लगी। आवेदन प्रस्तुत करने पर जांच कराई गई। विभाग ने निर्धारित राशि स्वीकृत कर दी लेकिन अब परिवार एक लाख रूपये की मांग कर रहा है।
एक्सपर्ट व्यू- ऑपरेशन फेल होने का यह भी कारण
परिवार नियोजन कार्यक्रम की नोडल अधिकारी डा. डीजे मोहंती ने कहा कि कई बार आपरेशन के दौरान ट्यूब को बंद करने लगाई गई रिंग निकल जाती है और उसके चलते ऐसे मामले सामने आते हैं। दूसरी ओर महिलाओं के आपरेशन से पूर्व उनकी जांच होती है और उसमें वे मासिक धर्म का समय सही नहीं बताती हैं, जिसके चलते भी जांच में चूक होने की आशंका रहती है। डा. मोहंती का कहना है कि मासिक धर्म समाप्त होने के पांच से दस दिन के बीच में ही आपरेशन कराना उचित होती है। वहीं जांच में गर्भ की जानकारी 15 दिन बाद ही सामने आती है और इसमें गर्भ की आशंका रहती है। यदि विभागीय गलती से गर्भ ठहरता है तो उसमें 30 हजार रुपए की राशि कमेटी से स्वीकृति के बाद संबंधित हितग्राही को प्रदान की जाती है। इस वर्ष शेष प्रकरणों में भी जल्द भुगतान हो जाएगा।

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