जिले में वर्ष 2018 से लेकर अभी तक सबसे अधिक नसबंदी आपरेशन फेल होने के मामले वर्ष 2021-22 में सामने आए थे। इस साल 65 सौ से अधिक लोगों ने परिवार नियोजन अपनाया था जिसमें 12 मामले ऐसे थे, जिसमें आपरेशन के बाद भी महिला गर्भवती हो गई। वर्ष 2018-19 में नौ मामले सामने आए थे तो वर्ष 2019-20 में आठ मामले सामने आए। इसी प्रकार वर्ष 2020-21 में सात लोगों ने आपरेशन सफल न होने के चलते अनुग्रह राशि के लिए आवेदन दिया था। वर्ष 2022-23 में छह और वर्ष 2023-24 में सात मामले सामने आए थे तो इस साल अभी तक दस आवेदन कमेटी के सामने पहुंच चुके हैं। सात वर्ष में कुल 59 आवेदन आपरेशन के बाद भी गर्भ होने पर स्वास्थ्य विभाग में पहुंचे हैं।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार आपरेशन के मामले में पांच प्रतिशत के फेल होने की आशंका रहती है। इसके चलते ऐसे मामलों के सामने आने के बाद उसे कमेटी के बीच रखकर जांच कराई जाती है। जांच में रिंग के फेल होने पर हितग्राही को सरकार की ओर से 30 हजार रुपए की अनुग्रह राशि प्रदान की जाती है। सात साल में सामने आए 59 मामलों में से 33 मामले ऐसे थे, जिसमें रिंग फेल हुई या जांच के बाद गर्भ होने की जानकारी सामने नहीं आई। ऐसे मामलों में हितग्राहियों को निर्धारित राशि का भुगतान कराया गया है। शेष मामले किसी न किसी कारण से रिजेक्ट किए गए हैं।
नसबंदी का ऑपरेशन होने के बाद यदि पेट में गर्भ धारण हो जाए तो उसे 90 दिन में क्लेम करना आवश्यक है। इससे पहले उसे सोनोग्राफी भी करानी होती है। आवेदक ने अल्ट्रासाउंड नहीं कराया है तो ऐसी स्थिति में विभाग अल्ट्रासाउंड कराएगा। महत्वपूर्ण बात ये है कि जिस अस्पताल में उसने नसबंदी कराई है, वहीं उसे क्लेम का आवेदन करना होगा। साक्ष्य के तौर पर रिपोर्ट जमा करनी होती है।
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केस नंबर-१
कन्हवारा निवासी महिला ने कन्हवारा स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से परिवार नियोजन अपनाने के लिए नसबंदी ऑपरेशन 2020 में करवाया था, जिसके बाद वे बच्चों के लालन-पालन में लग गए। इसके बाद वह पुन: 6 महीने की गर्भवती हो गई हैं। नसबंदी ऑपरेशन फेल होने के बाद दंपत्ति परेशान हैं। पति-पत्नी शिकायत करते हुए उचित कार्रवाई की मांग की है।
ढीमरखेड़ा निवासी एक परिवार की महिला का वर्ष 2018 में शिविर के दौरान नसबंदी आपरेशन कराया गया था। आपरेशन हो जाने के तीन माह बाद महिला को गर्भ ठहरने की आशंका हुई। जिसमें उसने जांच कराई और सोनोग्राफी में गर्भ ठहरने की पुष्टि हुई। जिसके बाद उसने विभाग को जानकारी दी और नियमानुसार जांच कराने के बाद विभाग ने उसे अनुग्रह राशि प्रदान की।
बरही क्षेत्र के एक परिवार ने पिछले साल महिला का शिविर में परिवार नियोजन का आपरेशन कराया था। कुछ दिन बाद महिला को गर्भ ठहरने की जानकारी लगी। जिसमें उसने जांच कराई तब आपरेशन के फेल होने की जानकारी लगी। आवेदन प्रस्तुत करने पर जांच कराई गई। विभाग ने निर्धारित राशि स्वीकृत कर दी लेकिन अब परिवार एक लाख रूपये की मांग कर रहा है।
परिवार नियोजन कार्यक्रम की नोडल अधिकारी डा. डीजे मोहंती ने कहा कि कई बार आपरेशन के दौरान ट्यूब को बंद करने लगाई गई रिंग निकल जाती है और उसके चलते ऐसे मामले सामने आते हैं। दूसरी ओर महिलाओं के आपरेशन से पूर्व उनकी जांच होती है और उसमें वे मासिक धर्म का समय सही नहीं बताती हैं, जिसके चलते भी जांच में चूक होने की आशंका रहती है। डा. मोहंती का कहना है कि मासिक धर्म समाप्त होने के पांच से दस दिन के बीच में ही आपरेशन कराना उचित होती है। वहीं जांच में गर्भ की जानकारी 15 दिन बाद ही सामने आती है और इसमें गर्भ की आशंका रहती है। यदि विभागीय गलती से गर्भ ठहरता है तो उसमें 30 हजार रुपए की राशि कमेटी से स्वीकृति के बाद संबंधित हितग्राही को प्रदान की जाती है। इस वर्ष शेष प्रकरणों में भी जल्द भुगतान हो जाएगा।