इस बारे में कलेक्टर प्रियंक मिश्रा बताते हैं कि राजस्थान सहित अन्य स्थानों से लोगों ने कटनी में पत्थर से जुड़ी इकाई लगाने की इच्छा जाहिर की है। एक जिला एक उत्पाद में कटनी जिले को पत्थर के लिए शामिल किया गया है। इकाइयां लगने के बाद जिले में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
युवाओं के लिए ऐसे उपलब्ध होंगे रोजगार के अवसर – पत्थर पर कला से संबंधित इकाई लगेगी। इसमें वृहद पैमाने काम के लिए बड़ी संख्या में कामगारों की जरुरत पड़ेगी। ये कामगार जिले के युवा होंगे और उनके लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।
ऐसे समझें कटनी के पत्थर की खासियत – मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के रवीन्द्र सभागम परिसर में आधारशिला में जबलपुर की शिल्पकार सुप्रिया अंबर द्वारा बनाई गई वैदिक काल की महान दार्शनिक गार्गी वाचकन्वी कलाकृति भी शोभा बढ़ा रही है। अंबर ने आधारशिला के दौरान फीमेल इंडियन फ्लासिफी के रूप में पहला कल्चर अपनी शिल्पकला के माध्यम से उकेरा था।
यूरोपीय देशों में कटनी के पत्थर की डिमांड – यूरोपीय देशों में कटनी स्टोन के टाइल्स आदि की डिमांड है। मुलायम होने और कई रंगों में पाए जाने के कारण शिल्पकारों को कटनी का स्टोन बेहद पसंद आ रहा है और यही कारण है कि कटनी स्टोन को जिला प्रशासन ने एक जिला एक उत्पाद में चयनित किया है।
देशभर के कलाकारों ने किया था कला का प्रदर्शन – कटनी स्टोन आर्ट फेस्टिवल के दौरान नवंबर माह में शिल्पकार रमनदीप सिंह, मनदीप खैरा मनसा पंजाब, प्रदीप बी जोगडांड मुंबई, हरपाल सिरसा हरियाणा, विनय अंबर जबलपुर, रमेश चंद्रा, रवि कुमार, नीरज विश्वकर्मा उत्तरप्रदेश, योगेश के प्रजापति नई दिल्ली, हंसराज कुमावत जयपुर, डीवी मुरूगन तमिलनाडू, सुप्रिया अंबर जबलपुर, जगदीश वेगड़ इंदौर ने कटनी स्टोन पर अपनी शिल्प का प्रदर्शन कर चुके हैं।