गजब का है फायदा
किसान मनीष दुबे की मानें तो इन फसलों से तैयार होने वाले ऑयल से गजब का फायदा हो रहा है। इस ऑयल की सप्लाई महाराष्ट्र के पूना, गाजियाबाद, दिल्ली, लखनऊ सीमैप में में सप्लाई हो रहा है। इन ऑयलों से सुगंधित साबुन, तेल, पिपरमेंट आदि का निर्माण हो रहा है। किसान ने बताया कि लेमन ग्रॉस और सिट्रोनेला का 100 लीटर उत्पादन शुरू हो गया है। जो धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। लेमन ग्रॉस ऑयल मार्केट 1450 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहा है। इसी प्रकार सिट्रोनेला भी लगभग 1500 रुपये किलो के भाव से बिक रहा है। सबसे ज्यादा महंगा ऑयल पामा रोजा का 3200 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव बिक रहा है। मेंथा 1800 रुपये किलो बिक रहा है। मेंथा ऑयल फरवरी लास्ट से उत्पदान शुरू होता जो जून माह तक चलेगा। बाकी की तीन फसलें साल में तीन बार उत्पादन हो रहा है।
इन फसलों के ऑयल का उपयोग
किसान मनीष दुबे व धीरज तिवारी ने बताया कि लेमन ग्रास से जो ऑयल तैयार हो रहा इससे लेमन खुशबु वाले साबुन, सिट्राट-ए विटामिन ए की दवा के लिय यह दवा कंपनी में सप्लाई हो रहा है। इसी प्रकार सिट्रोनेला से टॉयलेट क्लीनर, मच्छर नियंत्रण के लिये उपयोग हो रहा है। सिट्राट ए के कारण यह भी दवा कंपनी में सप्लाई हो रहा है। पामा रोजा का उपयोग गुलाब जैसी खुशबू के लिये साबुन के उपयोग में हो रहा है। इसके अलावा इत्र सहित क्रीम, अन्य सौंदर्य प्रसाधन की सामग्री के निर्माण में सप्लाई हो रहा है। इसी प्रकार मेंथा का उपयोग पिपरमेंट बनाने के लिये, टॉफी, बॉम, टूथपेस्ट, कंफ्केशनरी आदि के उपयोग के लिये सप्लाई हो रहा है। ठंडक प्रदान करने वाले तेल में भी इसका खास उपयोग हो रहा है।
ऐसे आया खेती का आइडिया
किसान मनीष दुबे ने बताया कि वे गांव उमरधा में परंपरागत खेती करते थे। धान-गेहंू की खेती में प्राकृतिक आपदा के कारण कोई विशेष फायदा नहीं हो रहा था। इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया में उन्नत तरीके की खेती करने के लिये उपाय ढूंढऩे लगे। यूट्यूट में देखा कि महाराष्ट्र के एक किसान ने लेमन ग्रॉस से लाखों रुपये कमा रहे हैं। उन्होंने उसे समझा और फिर केंद्रीय सुगंध पौध अनुसंधान केंद्र लखनऊ (सीमैप) में संपर्क किया। इसमें भारत सरकार की एक एजेंसी एरोमा मिशन काम कर रही है। जो अच्छे किसानों को कृषि से आय अढ़ाने के लिये प्रोत्साहित करती है। यहां पर अधिकारी-कर्मचारियों से संपर्क किया। खेती के तरीके को समझा और 2017 में बहोरीबंद तहसील के ग्राम खडऱा में इसकी खेती शुरू कर दी और अब तरक्की की राह पर अग्रसर हैं।
ये है खास फायदा
किसान मनीष दुबे व धीरज तिवारी ने बताया कि इस फसल की खेती में सबसे बड़ा फायदा तो यह है कि दुर्गंध के कारण इसे न तो मवेशी खाते हैं और ना ही कोई जंगली जानवर नुकसान पहुंचाते। इस लिहाज से इसकी सुरक्षा का विशेष ध्यान नहीं रखना होता। इस फसल न तो बारिश से नुकसान पहुंचता और ना ही ओला-पाला से। खास बात तो यह है कि कम पानी में यह फसल तैयार हो जा रही है।
खेती को लेकर खास-खास
– पांच हजार रुपये प्रति एकड़ सालान सिकमी में किसानों से ली है जमीन
– एक साल लगाई फसल, पांच साल तक स्थायी फसल से होगा उत्पादन।
– एक बार लग रही लागत, कई साल तक मिलेगा मुनाफा।
– ऑयल बनाकर सप्लाई करने खेत में लगाया है प्लांट।
– आश्वन विधि आधारित डिस्टिलेशन यूनिट की है तैयार।
– प्लांट को लगाने में किसानों को आई है पांच लाख रुपये की लागत।
– खुद खेती करने के बाद क्षेत्र के किसानों को दे रहे सलाह।