सिर्फ समर्थन मूल्य में हुई खरीदी
क्षेत्रीय किसानों ने बताया कि यहां पर सिर्फ समर्थन मूल्य पर केंद्र बनाए गए हैं। कुछ किसान ऐसे भी होते हैं जो समर्थन मूल्य में पूरी उपज नहीं बेचते। उसे रबी की बोनी के लिए लगने वाली लागत के लिए या फिर किसी आपात समय के लिए रखते हैं। ऐसे में ऐसे किसान स्थानीय स्तर पर मंडी में उपज नहीं बेच पा रहे हैं। इके साथ ही उड़द, मूंग, अरहर, सरसों, सिंघाड़ा, महुआ, गुली, तिली, मसूरी, अलसी, आदि उपज होती है। इन उपजों को बेचने के लिए किसानों को सिहोरा बेचने जाना पड़ रहा है।
इस कारण फंसा पेंच
बताया जा रहा है कि उपमंडी को उमरियापान में शिफ्ट करने के लिए दो बार पत्राचार हो चुका है, लेकिन अबतक उसे शिफ्ट नहीं किया गया। अस्थि दायित्व का बंटवारा न होने के कारण विलंब हो रहा है। उपमंडी न होने से क्षेत्र के व्यापारी भी परेशान होते हैं। उन्हें भी सिहोरा या कटनी आकर उपज बेचनी पड़ती है।
इनका कहना है
उमरियापान में उपमंडी स्थापित करने के लिए दो बार सिहोरा मंडी प्रबंधन को पत्राचार किया जा चुका है। अस्थि दायित्व का बंटवारा न होने के कारण विलंब हो रहा है। शीघ्र ही उपमंडी स्थापित करने कार्रवाई की जाएगी।
पीयूष शर्मा, मंडी सचिव, कटनी।