डिमांड बढ़ी तो साथ में बेटे सचिन सिंह बघेल को लगा लिया। मानसिंह बताते हैं कि ग्राहकों को टिकिया पत्ता में ही रखकर देते हैं। इन पचास सालों के दौरान इस परंपरा को नहीं बदला। पांच पैसे पत्ता से शुरू हुआ यह काम अब मंहगाई के साथ तीस रूपये पत्ता तक जरूर पहुंच गया।